RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, July 23, 2011
अनूठा प्यार
अनूठा है प्यार अपना
फासला है इतना
मिलन कभी हो सकता नहीं
पर एक दूजे बिन रह सकते नहीं
तुम चाँद बन गयी
मैं धरा बन गया
एक दूजे को बस निहार सके
अपने प्यार की ऐसी नियति बन गयी
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