RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, June 2, 2011
बुरा
हां मैं बुरा हु
पर उतना भी नहीं
जितना लोग कहते है
दर्द का अहसास मुझे भी है
पर जमाने ने किये
इतने जुल्मो सितम
की चाह कर भी दिखावे को
अच्छा बन नहीं सकता
अब तो बस आदत सी हो गयी है
ऐ जिन्दगी की कहानी सी बन गयी है
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