RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, June 11, 2011
क्रांति
लहर उठी परिवर्तन की
बदल गयी कायनात सारी
हो गया साम्राज्य छिन्न भिन्न
पड़ गयी अवाम की आवाज़ भरी
जन क्रांति ने ऐसी राह दिखला दी
सोई मानव चेतना जगा दी
बदले परिवेश
आन्दोलन की भेंट चढ़ गयी तानाशाही
सफल हो गया सत्याग्रह
परिवर्तन ने ऐसी लहर चला दी
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