RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, June 5, 2011
पस्त होसलें
त्यज दिया धैर्य
देख दुर्गम मार्ग
पस्त हो गए होसलें
मंजिल ना थी इतनी आसान
बीच राह छोड़ दिया प्रयास
इसे नियत मान
वो डरपोक कायर था नादान
झुक गया घुटनों के बल
कर अपनी हार स्वीकार
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