RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, June 3, 2011
तेरा सुरूर
कल जब मैं मधुशाला में था
तेरा जिक्र चला था
सुनके तेरे चर्चे
मदहोशी का आलम छा गया था
बिन जाम को लबों से लगाए
तेरा सुरूर छा गया था
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