बेटिया तो अहसास होती है
माँ बाप के पास
कुछ पल की मेह्मा होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
छोटे से इस अंतराल में
रंगों से भरी खान होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
चहचाहट से जिसकी गूंजे आँगन
सपनों सी वो शहजादी होती है
बेटिया तो बस अहसास होती
माँ की ममता पिता की आन होती है
जिस घर जन्मे
उस घर की शान होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
रुला बाबुल को
एक दिन
प्रियतम की डोर थाम लेती है
बेटिया तो बस एक अहसास होती है
पर जिन्दगी में
वो सबसे खास होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
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