Thursday, April 14, 2011

साये में

खुली जुल्फों के साये में


बारिस का लुफ्त उठा रहे है


ह़र बूंदों में सपने नये बना रहे है


काली घटाओं के दरमियाँ


आशियाँ नया बना रहे है


खुली जुल्फों के साये में


बारिस का लुफ्त उठा रहे है

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