RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, April 23, 2011
हवा का झोंका
मैं हवा का वो झोंका हु
जो कही ठहरता नहीं
बांधे कोई डोर
मुझे रख सकती नहीं
रंग है मेरे अनेक
दामन मेरा कोई
थामेरख सकता नहीं
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