RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, April 22, 2011
ख़त की चासनी
यूँ लगे ख़त की चासनी में
मिठास कम रह गयी
भेजे मेरे पैगाम का जबाब
इसीलिए अब तलक आया नहीं
कोई बात नहीं
इस संदेश के बाद उतर ना आये
ऐसे भी हालत नहीं
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