RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, April 21, 2011
लेखन
ज्ञानी नहीं अज्ञानी हु
फिर भी लिखने की कोशिश करता हु
दिल के भावार्थ को
शब्दों में पिरों
यादों के लिए रखता हु
ज्ञानी नहीं अज्ञानी हु
फिर भी लिखने की कोशिश करता हु
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