POEMS BY MANOJ KAYAL
मुलाकातों के अवसर अक्सर तलाशते है
बातों के लिए बहाने तलाशते है
इश्क में ना जाने
लोग क्या क्या गुल खिला जाते है
चाँद को भी
महबूब के आगे फीका बतला जाते है
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