RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, April 9, 2011
दांव
रफ़्तार भरी जिन्दगी में
जिन्दगी को दफना दिया
छुट गया बचपन पीछे
छुट गए संगी साथी
भुला बिसरा खुद को
जिन्दगी को दांव पे लगा दिया
भीड़ भरे जमघट में
सिक्कों की खनखनाहट में
खुद को भुला दिया
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