RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, March 4, 2011
निंदिया
बोझिल तन करवटे बदले
पर निंदिया रानी पास ना फटके
अधखुली आँखे सोने को तरसे
पर निंदिया रानी पास ना फटके
सोने में खोने को आतुर रातें
पर निंदिया रानी पास ना फटके
गुजर गयी रात सारी
पर निंदिया रानी पास ना फटकी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment