POEMS BY MANOJ KAYAL
यादों की परछायिओं में
कुछ बातें अधूरी रह गयी
ठहठहांको के बीच
दिल की बात दबी रह गयी
ज़माना समझ ना पाया जज्बातों को
उपहास बना दिया मेरे अरमानों को
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