POEMS BY MANOJ KAYAL
डर लगने लगा है तक़दीर से अब
किस्मत धोखा ह़र बार ऐसा दे जाती है
पास आयी मंजिल भी
कोसों दूर चली जाती है
बदकिस्मती रब ने ऐसी लिखी
फूल एक भी खुशियों के
अब तलक पिरों ना पायी
दिल भी छूने को आतुर मंजिल
पर इस नसीब को ए
गुस्ताखी रास नहीं आती
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