जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना छलक जायेगा
होटों पे आते ही
सरुर इसका छा जायेगा
भुला के दुनिया सारी
आगोश में अपनी ए छुपा लेगा
महफ़िल तब सजने लगे
रूह बन जब रगों में बहने लगे
मस्ती की हिलोरें आने लगे
मदहोशी का नशा जब छाने लगे
जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना फिर छलक जायेगा
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