बड़े चले कदम
करतल ध्वनी शंख नाद के संग
सुर ताल से मिला रहे कदम
विजय घोष के संग
लाज रखी मातृभूमि की
कर जिन्होंने अपना सर्वसर बलिदान
नमन आज देश करे
कर उन वीर शहीदों को याद
बड़े चले कदम
करतल ध्वनी शंख नाद के संग
सुर ताल से मिला रहे कदम
विजय घोष के संग
लाज रखी मातृभूमि की
कर जिन्होंने अपना सर्वसर बलिदान
नमन आज देश करे
कर उन वीर शहीदों को याद
चाँदनी रात में
चाँद तारों के साथ में
हाथों में हाथ थामे
में ए इजहार करू
ओ साथी तेरे प्यार को
में अंगीकार करू
प्रणय इस बेला
सिंदूर भर तेरी मांग संवारू
यू लगे सूरज को भी था तेरा ही इन्तजार
अब तलक था इसिलये काले बादलों के दरमियान
भेजा जो तुने प्यार भरा पैगाम
चमक उठा प्यार भरी मुस्कराहट के साथ
दर्द को मेरे रबा तू एक बार गले लगा ले
आह निकलेगी ना आंसू
पल में तड़प जाओगे
में हूँ कितना लाचार
झट से समझ जाओगे
अब तक जो ना सुनी फ़रियाद
सुनने उसे फ़ौरन दोड़े चले आओगे
बिजली चमके मेघा बरसे
काले बादल लाये घटाए संग सारी
गूंजे आसमां बहे पवन वेग सयानी
कहे मन क्यों ना इस मौसम में
दिल को करने दे अपनी मनमानी
खूब भींगे नाचे गाये
लुफ्त उठाये ढेर सारी
काले बादलों ने समां ऐसा बांधा
दिन में रात घिर आयी
मस्त पवन की लहरे
शीतल मोज़े ले आयी
ठिठुरन ऐसी बड़ी
लिहाफ की गर्माहट भी
कम नज़र आयी
तलाशा मैंने तुमको बहुत
हवों में तेरी खुशबू टटोली
सायों में तेरा अक्स तराशा
चन्दा निहारा
दर्पण निहारा
खुद में तेरा अक्स नज़र आया
बंद कर आँखे
दिल से पुकारा
मेरी धडकनों में
अहसास तेरा पाया
डर लगने लगा है तक़दीर से अब
किस्मत धोखा ह़र बार ऐसा दे जाती है
पास आयी मंजिल भी
कोसों दूर चली जाती है
बदकिस्मती रब ने ऐसी लिखी
फूल एक भी खुशियों के
अब तलक पिरों ना पायी
दिल भी छूने को आतुर मंजिल
पर इस नसीब को ए
गुस्ताखी रास नहीं आती
जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना छलक जायेगा
होटों पे आते ही
सरुर इसका छा जायेगा
भुला के दुनिया सारी
आगोश में अपनी ए छुपा लेगा
महफ़िल तब सजने लगे
रूह बन जब रगों में बहने लगे
मस्ती की हिलोरें आने लगे
मदहोशी का नशा जब छाने लगे
जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना फिर छलक जायेगा
पूर्ण नहीं हु
कुछ कमी है मुझ में
रब तुने भी आज जतला दिया
औरो की तरह हँस
दिल तुने भी दुखा दिया
विश्वास का आसरा था जो
तोड़ उसको , जिन्दगी को
आंसुओं के सैलाब में बहा दिया
कोशिश कई बार की
हसरते पर अधूरी रह गयी
तेरी चाहत सरुर बन गयी
पर दिल की बात जुबां पे आने से चुक गयी
इस नादान दिल को कैसे समझाये
तुम जब भी सामने आयी
हम तेरे हुस्न को ही निहारते रह गए
ओर दिल की बात कह नहीं पाये
मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी
आसरा मिला नहीं कोई
पनाह मांगती जिन्दगी
कदम अब थक गए
टूट गयी जिन्दगी
रुक मैं सकती नहीं
आखरी सांस तक चलना ही तेरी नियति
कह रही जिन्दगी
मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी
नया जोश नयी तरंगे
नयी मस्ती से सराबोर
नए साल की उमंगें
रंग भरी आतिशबाजी से सजी
रंगीन आसमान की सलवटे
संगीत की धुनों पे थिरकते चाँद सितारे
जशन में डूबी मस्ती भरी साँसे
गले लग उड़ेलती मस्ती भरी बाते
नया साल नयी उम्मीदें
एकान्त समुद्र का किनारा
उफनती सागर की लहरों का शोर
भंग कर रही दिल के बोल
अथाह सागर की मौजा का सहारा
नीले पानी के खारे बोल
मन ढूंड रहा अपना छोर