मीरा पी गयी विष का प्याला
रटते रटते कृष्ण नाम तुम्हारा
लाज रखी तुमने प्यार की
विष बन गया अमृत प्याला
जीत गयी मीरा की प्रेम गाथा
मीरा तो रटे बस नाम तुम्हारा
मीरा पी गयी विष का प्याला
रटते रटते कृष्ण नाम तुम्हारा
लाज रखी तुमने प्यार की
विष बन गया अमृत प्याला
जीत गयी मीरा की प्रेम गाथा
मीरा तो रटे बस नाम तुम्हारा
सुन के तेरी प्रीत रागिनी
तेरे प्यार भरे ख्यालों में
खो गयी दुनिया सारी
छू गयी तेरी हँसी दिल को
बोल उठी खामोश जुबाँ भी
साया बन थामा जो हाथ
होने लगा प्यार का कमाल
मुर्दा दिल भी जाग उठा
कहने लगा
तू ही मेरे दिल की साज
तू ही मेरा प्यार
भरी सभा द्रोपदी का चिर हरण होने लगा जब
हाथ जोड़ याद किया कृष्ण को तब
साड़ी का आँचल इतना बड़ा दिया
थक हार गए कौरव सारे
मिला ना अंत छोर साड़ी का
देख कृष्ण तेरी माया
चकित रह गया जग सारा
कृष्ण की बांसुरी ताल पे
ता था थैया नाचे राधा रानी
नंदनवन रास रचावे कृष्ण मुरारी
सखिया संग झूमे राधा रानी
संगम तट खेले कान्हा त्रिपुरारी
संग आँख मिचोली खेले राधा रानी
है जग में विख्यात इनकी प्रेम कहानी
बिन राधा अधुरा मुरारी
गुमान नहीं अभिमान है
मेरे पिता पे मुझे नाज है
झुके नहीं टूटे नहीं
विपता जब भी आयी
शूरवीरों की तरह डटे रहे
साथ छोड़ चले गए अपने भी जब सभी
हिम्मत हारी नहीं तब भी कभी
आत्मविश्वास के बलबूते
पाली पुन: शोहरत सारी
धूमिल हो गयी थी जो
विपति काल में
ए दोस्त तू यू ही हमदम बना रह
मुस्कराते हुए चलता रह
आने वाला ह़र पल तेरा है
प्यार के संग इस जीता जा
सोहब्बत का असर है हमारी
रेगिस्तान में गुलाब खिला दिया
ओर बुझे बुझे दिल को
प्यार करना सीखा दिया
कितना मुश्किल है जिन्दगी का साथ
कभी सोचा है मेरे यार
किस पल हँसा दे
किस पल रुला दे
कोई कह नहीं सकता मेरे यार
किस पल रुसवा हो
अलविदा कह दे जिन्दगी
कोई जान नहीं सका मेरे यार
जब जब तेरा जिक्र चले
चहरे पे मुस्कान जादुई बिखर जाये
आँखों की शरमों हया
पलके बंद कर
दिल ही दिल तेरी तस्वीर बनाये
मुख मंडल लगे दमकने ऐसे
चन्दा से चाँदनी छिटक रही हो जैसे
जब रंग लहू का एक
फिर कैसा महजब का फैर
मंदिर हो या मस्जिद
सब में बसे एक ही रब का नाम
अल्लाह कहो या राम
सब के दिल में हो बस प्यार का ही नाम
प्यार में ही बसे अल्लाह और राम
गए खफा हो तुम जबसे
साँसे रुकी हुई है तबसे
रुसवाई ने तेरी हमको रुला दिया
मोहब्बत क्या होती है
हमको बता दिया
अब ओर ना हमको रुलाओ यार
लौट आओ मेरे प्यार
मेरी साँसे कर रही है तेरा इन्तजार
तेरे हुस्न की सादगी पे हो फ़िदा
चाँद ने चाँदनी की चुनर उढाई
सितारों ने जगमग करते तारों से मांग सजाई
मंत्र मुग्ध हो दर्पण भी शर्माए
ओ मेरे दिल की रानी
तेरी सादगी के कुदरत भी है हारी
कुछ कहते तुम भी
तो कोई बात बनती
प्यार नहीं तो
रणभेरी गूंजती
प्यार और तकरार में
कोई तो बात बनती
यादों ने तेरी फिर अलख जगा दी
पैगाम ने तेरे बुझते दिए को लो थमा दी
शमा ने जीने की
नयी राह दिखला दी
जिया ऐसे फिर ना तड़पाना
हमें यू ना मार डालना
तेरे सर की कसम
तेरे लिए कुछ भी जायेंगे
सारी दुनिया से अकेले लड़ जायेंगे
संगीत की लय तुमने बिखरा दी
गीत बनने से पहले धुन चुरा ली
बिन संगीत
नगमे गुनगुनाये कैसे
तेरे दिल में अब घर बनाये कैसे
संगीत की लय तुमने बिखरा दी
उस राह कभी ना जाता
जो कभी मेरी मंजिल ना थी
पर ह़र कदम सपने टूटते गए
कदम निराशा के भंवर में
खुद ब खुद गर्त की ओर चलते गए
ना किसी से कभी कोई गिला रही
ना किसी से कभी शिकायत रही
अपने कदम रोक ना पाया
उसमे औरों की क्या गलती थी
ह़र पल टूटा हु
खुद से खुद को जोड़े
फिर भी खड़ा हु
है ए अजब बिडम्बना
गम भुलाने को रो भी ना पाऊ
जी रहा हु
पर जिन्दा कैसे रह पाऊ
कैसे ए दर्द भरी दास्ताँ पेश करू
जख्म तुने जो दिए
कैसे उन्हें पेश करू
दर्द ए दिल कैसे पेश करू
तुझे भुलाने को
क्या में ओर करू
कैसे उस बीते लहमे को पेश करू
नजरे मिला नजरे चुराना कोई आपसे सीखे
रोते दिलों को हसना कोई आप से सीखे
काँटो में रह के भी
गुलाब की तरह मुस्काना कोई आप से सीखे
रिम झिम रिम झिम वर्षा आयी
मौसम ने ली अंगडाई
लो आ गयी सर्दी रानी
बड़ ने लगी ठिठुरन बेचारी
कंपकंपाने ने लगी देह सारी
शीतल ठंडी फुहारों ने
बदल दी रंगत सारी
दस्तक दे दी ठंडक ने
कह रही घटाए सारी
तन्हाई में घिरे
तन्हा अकेले बैठे रहे
मंथन विचारों का चलता रहा
खामोश लब गुमसुम से
दिल की धड़कने गिनते रहे
अकेलेपन की तन्हाई में
क्यों गुम हो गयी जिन्दगी
जबाब इसका तलाशते रहे
बिक रही औरत मंडी में आज भी
कोई हवस की खातिर
कोई पैसे की खातिर
बस स्वरुप इसका बदल गया
नाम नया इसको मिल गया
कोठी के जिन्ने , तवायफ की कहानी
बात ए सदियों पुरानी
अब चर्चे रोज नए होते है
जिस्मफरोशी के इन खिलाडियों को
कॉल गर्ल कहते है
बज रहे है ढोल
मच रहा है शोर
चुपके से आया कोई चोर
चुरा ले गया शहजादी का नूर
हो रही मुनादी
जिसने की है ए गुस्ताखी
शहजादी करेगी उससे शादी
चोर ने नहले पे दहला मारा
आधी रात शहजादी की मांग भर आया
देख इस दुह्साहस को
शहजादी का दिल उसपे आया
उससे अपने सपनों का राजकुमार बनाया
तेरी प्रेरणा से
ह़र शब्द छंद बन गया
स्वर मीठे रस से भरे बोल बन गए
कदम स्वत: ही
मंजिल की ओर चल दिए
दुनिया देखती ही रह गयी
ओर हम कामयाबी के शिखर पहुँच गए
चन्दा छू लू सूरज छू लू
छू लू धरती आकाश
छू ले जो तू इस दिल को
ना फिर छूऊं किसी ओर को
किसी भी सूरते हाल
जिक्र तेरा जो चला
महफ़िल में रौनक आ गयी
खामोश लबों पे भी
तेरी ही बात छा गयी
एक तेरे ही जिक्र से
बेजान महफ़िल में भी जान आ गयी
सरहदे दोस्ती को बाँध नहीं सकती
फासले कितने भी हो वतनों में
यारों के मिलन को रोक नहीं सकती
पैगाम है ये अमन का
दूरियां इसे मिटा नहीं सकती
खाब्बों का सौदागर हूँ
खाब्ब सजाता हूँ
सपनों की रंगीन दुनिया में
हसीन महफ़िल सजाता हूँ
ह़र दिलों के राज को
खाब्ब बना आँखों में सजाता हूँ
जिसके जिक्र से दिल खिल उठे
ह़र उस खाब्ब को हकीकत बनाता हूँ
खाब्बों का सौदागर हूँ
खाब्ब सजाता हूँ
एक तुझ से ही पहचान है
बाकी सब गुमनाम है
नाज है अभिमान है
तुम पिता हम तेरी संतान है
ह़र जन्म जुड़ा रहे
एक दूजे से अपना नाम
छोटी सी रब से ये फ़रियाद है
बस एक तू ही पहचान है
कुछ खोया खोया से लगे
दिल अपना बेगाना सा लगे
चाहत की ये ताबीर है
एक नए रिश्ते की तामिल है
धड़क रहा जिया
फिर भी गुमसुम सी धड़कने सारी है
एक मीठी सी अहसास है
उमंगों की बारिस में दिल
प्यार के लिए बेकरार है
तू डर नहीं निडर बन
आगे बड़ मुकाबला कर
ललकार उन दरिंदो को
जो खले अस्मत से नारी की
पल में सारे मर जायेंगे
तेरी क्रोध अग्नि में सारे भश्मासुर
भस्म हो जायेंगे
आओ ऐसा सुन्दर जहाँ बनाये
ह़र घर फैले उजिआरा
ऐसे सूरज की ह़र किरणे सजाये
आभा बिखरे जिससे
शीतल सुप्रकाश की
ओर जगमगा उठे जग सारा
जख्म तुने इतने दिए
इन्तहा सजा की हो गयी
अब तो दर्द भी दर्द ना रहा
इसकी तो आदत सी हो गयी
अब ना आंसू बचे
ना जीने की तमन्ना ही रही
जुल्म सहते सहते
जिन्दगी जिन्दा लाश हो गयी
समर्पण करूँ , अर्पण करूँ , तर्पण करूँ
हे रब तेरे आगे सर नतमस्तक करूँ
कुछ भी कहे दुनिया
सबसे पहले मात पिता की पूजा करूँ
अंश हूँ उनका
आज्ञा उनकी शिरोधार्य करूँ
बिमुख तुमसे हूँ नहीं
अहंकारी मुझको समझना नहीं
उनके रूप में ही तेरे दर्श पाऊ
समर्पण करूँ , अर्पण करूँ , तर्पण करूँ
हे रब तेरे आगे सर नतमस्तक करूँ
दीपों की रौशनी
पटाखों का शोर
घोल रही रिश्तों में
चीनी का घोल
ले आयी दिवाली फिर
मस्ती भरी उमंग
जगमग हुआ जहां
रोशन हुए दिल
रंग बी रंगी आतिशबाजी से
अम्बर हुआ रंगीन
सितम तेरे सारे सहते रहे
तेरी सलामती की दुआ फिर भी माँगते रहे
अश्को ने भी छोड़ दिया साथ
पर गुजरे लहमे याद कर मुस्कराते रहे
खत्म हो गयी जिंदगानी जलते जलते
पर साँसे बची है अब तलक
तेरे मिलन की आस लिए
तुम इस दिल की कविता बन गयी
रग रग में यूँ समां गयी
जुबा जब भी खुली
ह़र लफ्ज में तू ही तू नज़र आयी
इस कदर तेरी दीवानगी छाई
ह़र फूल में तू ही तू नज़र आयी
तेरी याद में
साँसे अगर छोड़ दे साथ
गुजारिश है हमारी छोटी सी फ़रियाद
कब्र पे हमारी जब भी आना
फूल जरुर साथ लाना
इंतकाल का बाद
कब्र अपनी हमारे पास बनवाना
वादा जन्म जन्म साथ निभाने का
मौत के बाद भी निभा जाना
आ तुझे इतना प्यार में करू
साँसे अपनी तेरे नाम करू
दरमियाँ रहे ना कोई फासले
बाहों में तुझको छुपालू
आँखों में कैद कर
दिल में तुझे बसा लू
आ तुझे इतना प्यार में करू
तम्मनाये दिल में अठखेलिया करती है
ख्वाब सच होने के सपने संजोते है
सपने सच हो या ना हो
दिल में उमीद की किरण दिव्यमान करती है
बुलंद हौसलों की चमक
आँखे वयां करती है
ओ माँ शेरावाली ओ माये
लेके खाली झोली आये तेरे द्वारे
भर दिए अन्न धन के भंडारे
मुझ निर्धन की कुटिया में आये
ओ माँ शेरावाली ओ माये
जब बबी पुकारे भक्त तुझको
तू दौड़ी चली आये
राख दे हाथ तू जो सर पे
सारी चिंता पल में दूर हो जाये
ओ माँ शेरावाली ओ माये
जो जन ध्यान धरे तेरा
संकट उनको छूने ना पाये
ओ माँ शेरावाली ओ माये
तेरी महिमा गाये सारे नर और नारी
माता तेरी ममता बड़ी दुलारी
ओ माँ शेरावाली ओ माये
किस्मत खुदा ने लिख दी
तक़दीर हमने खुद बना ली
ह़र हार में भी जीत की खुशबू महका दी
कुदरत देखती रह गयी
ओर काँटों की राहों को
फूलों की सेज बना दी
हमने अपनी तक़दीर खुद बना ली
भीगीं भीगीं सी तेरी यादें
महकी महकी सी तेरी साँसे
भीनी भीनी सी दिल की फिजाए
ओ यारा
होले होले जले मन सारा
तडपे जिया
खोजे तेरी बाहों का सहारा
ओ यारा
तेरी यादों की भीनी भीनी खुशबू से
छाये मस्ती चुपके चुपके
चढ़े रंग प्यार का होले होले
ओ यारा भीनी भीनी मीठी मीठी यादें
बेजुबा होती है दिल की जुबा
आँखे बया करती है दिल का हाल
रोग है ऐसा
धड़कने देतीहै सिर्फ साथ
बिन कुछ कहे
तभी हो जाता है
आँखों ही आँखों में प्यार
तारों भरी रात
चन्दा का साथ
संजोये ख्वाब
काश हम भी होते
सितारों में आज
खेल रहे होते
लुका छिपी चाँद के साथ
सुन्दर है वो रचना
फ्रस्फुटीत हो जिसमे जीवन की प्रेरणा
सपन्दन जिसके रचे
नई अंकुरों की सफलता
शब्दों में जिसके छिपी हो
मिठास भरी मृदुता
निहित हो जिसमे
प्रकृति की समीपता
सुन्दर होती है वो रचना
आधार जिसका हो जनाधार
मुक्त कंठो की प्रशंशा का वह है पात्र
बड़ा ही चतुर वह सुजान हो
जिसके हाथों में अवाम की लगाम हो
महारत पाली जिसने इस खेल में
समझो
बादशाहत उसकी जम गयी राजनीति के खेल में
यादों से जिसकी शुरू हो दिन की शुरुआत
वो है यही दिल के आस पास
तभी नज़र आती है
मन मस्तिष्क को
अनजानी आकृति में भी
उनकी ही पहचान
अब तलक तरो ताजा है
उनकी परछाई की भी याद
उलझ गयी जिन्दगी
मंदिर मस्जिद के द्वन्द में
कोई कहे मंदिर बने
कोई कहे मस्जिद बने
पर ये भूल गए सभी
लिखी हो जिसकी इबारत
बेगुनाहों के खून से
कबूल नहीं होगी
रब को वो इबादत भी कभी
फिर क्यों करे द्वन्द
निकल मंदिर मस्जिद की होड़ से
लिखे एक नई इबारत
क्यों ना फिर भाई चारे के स्नेह की
लिखू कैसे शब्द गुम हो गए सारे जैसे
देखा लेखनी को जो नज़र भर
लगा कह रही हो
छोड़ा ना साथ मेरा
ओ मेरे हमसफ़र
थामे रहो तुम मेरी कलाई बस
लिखती चली जाऊँगी उम्र भर
देखना तुम
बरसने लगेंगे जब रंग
याद आने लगेंगे पुनः शब्द तब
जूझ रहा हु ऐसे
ह़र कदम चलना सीख रहा हु जैसे
गिरते उठते आगे बढ़ रहा हु ऐसे
खुद के क़दमों पे खड़ा होना सीख रहा हु जैसे
मंजिल अभी भी बहुत दूर वैसे
पर लग रहा है ऐसे
कामयाबी कदम चूम रही हो जैसे
बातों में तेरी लहराती है गीतों की माला
सुनके नाचे मन की अभिलाषा
इतनी हसीन है तेरी आँखों की मधुशाला
देखू जब भी इनमें
सुध बुध भूल जाती है दिल की भाषा
ओ सुन्दरी कैसी है ये तेरी माया
मेरी परछाई में भी दिखे तेरी ही छाया
जीवन सदैव ऋणी रहेगा आपका
पितृ स्नेह लुटाया ऐसा आपने
भर गयी झोली हमारी आपके प्यार से
पर बिन कहे ऐसे गये
खामोश हो गयी आवाज़ भी आपकी
तलाश रही है नजरे
आप की छावँ आज भी
छलछला आती है आँखे
जब भी आती है याद आपकी
बस एक बार वापस चले आओ
चाचा जिन्दगी को तलाश आज भी आपकी
शब्दों का है मायाजाल
तोड़ मरोड़ करो ना इसको बदनाम
रचो सुन्दर शब्दों का जाल
मिला अक्षरों से अक्षरों का साथ
मिलेंगे नए नए शब्द हजार
पर याद रहेगी
सिर्फ मीठी भाषा ही मेरे यार
इसलिए करो सुन्दर भाषा का इस्तेमाल
गुमशुम है परेशान है
दिल आज चुपचाप है
बात कुछ ख़ास है
दिल के बोल बंद आज है
मौन है मन उदास है
कहीं खो गया दिल आज है
विरह है या प्यार है
दिल का बुरा हाल है
ना जाने किसके लिए
दिल आज बेकरार है
दर्द तुने इतना दिया
लहू आंसू बन आँखों से बह चला
दिल चूर चूर हो बिखर गया
सदमा ऐसा लगा
शक्ल खुद की भी याद ना रही
जब देखा आइना
अजनबी शक्ल नज़र आयी
खता दिल लगाने की हमसे हो गयी
जिन्दगी हमसे रुसवा हो गयी
दर्द तुने ऐसा दिया
बड़ा ही मज़बूत है ये जोड़
तोड़ नहीं इसका कोई मेरे दोस्त
ये है सच्चे बंधन की डोर
काट नहीं इसका कोय
कहते है इसे दिल से दिल का जोड़
मेरी तेरी यारी का जोड़
दुओं की रोशनी से आपकी राहे
जगमगाती रहे
अँधेरे में भी सूरज की तरह
प्रकाश की किरणे
बिखराती रहे
आप यू ही सदा मुस्कराती रहे
कह रहा है मन
हो तुम यही कही
घुल रही तेरी साँसों की खुशबू
इन हवाओं में यही
महका रही ह़र कलि इन फिजाओं में यही
बिखर रहा संगीत
तेरी पायल की छम छम से
करलो कितना भी जतन
छिपा ना खुद को पाओगे
दूर हम से रह ना पाओगे
जल गया तन
भस्म हो गया मन
बची सिर्फ धड़कने
मुझको बस तू इतना बता दे
कैसे उससे तुझको जुदा करू
जिन्दा रहने के लिए अब क्या क्या ओर करू
मुक़दर ऐसा मिला
ह़र फ़साने में एक अफसाना हमारा भी बना
ह़र खुबसूरत कलि से दिल लगाने के
फ़साना बनाना हमने भी सीखा
जब भी देखू तुझे
दिल मेरा लगे मचलने
कांपने लगे साँसे
दिल मारे हिलोरें
बढ़ने लगे मिलन की बेताबी
सोच सोच तेरे लिए
बड़ने लगे बेकरारी
देखू जब भी तुझे
खुद पे रहे ना कोई काबू
ऐसा लगने लगे मुझको
धड़कन भी अब रही नहीं मेरे बस में
दिल जो टूटा
ताश के पत्तों की तरह
सपनों के आशियाँ बिखर गए
घरोंदे प्यार के
बसने से पहले ही उजड़ गए
कहानी है ये सच्ची
रंक से राजा बनने की
फर्श से अर्श पे पहुँचने की
किया नहीं उसने कभी किसीको निराश
खुले हाथ किया दान
की मेहनत बहुत
ह़र दौर देखा जिन्दगी का
ओर रखा खुद पे विश्वास
ईश्वर ने भी सुनी प्रार्थना
साधारण से इन्सां को
पल में बना दिया महान
गुलजार रहे तेरा दामन सदा
है रब से यही दुआ
पग पग खुशियाँ मिलती रहे
रहे सलामत सदा तेरा जहाँ
खिलखिलाती मुस्कराती रहो तुम सदा
मेरी तो रब से बस यही है दुआ
कितनी प्यारी थी वो छोटी सी मुलाक़ात
चाँदनी रात में नहाई हुई थी रात
झील मिल करते सितारों के साथ
बैठे थे हम तुम डाले हाथों में हाथ
एक दूजे को निहारते हुए
गुजर गयी वो खुबसूरत रात
आज भी जब ढलती है चाँदनी रात
याद आ जाती है
गुजरी हुई वो हसीन रात
सुबह की अजान पे
खुली जब आँख
आया तेरा ही ख्याल
रहे सलामत मेरा प्यार
खुदा मेरे मेरी ये दुआ
तुम कुबूल फरमाना
मेरे महबूब को
मेरे दिल के पास ही रखना
एक तो हलकी बूंदों की छम छम
उसपे भीगे लब तेरे
देख इस शबनमी काया को
घायल कैसे ना दिल हमारा हो
बड़ी नफासत से दिल के कोरे कागज़ पर
कुछ अल्फाज आप के सजदे में लिखे
संग दिल सनम ने पैगाम का जबाब लिखा
लिखावट है आप की
पर अल्फाज किसी ओर के
इसलिए आपसे फिर प्यार कैसे हो
जब कभी मन हुआ रोने को
बारिस में निकल पड़ा
वर्षा की बूंदों में आंसू घुल गए
किसीको ख़बर भी ना हुई
हम रो के घर अपने चले गए
मंजिल नहीं अब कोई
जिन्दगी सिमट गई बाहों में तेरी
मिल गया जो प्यार तेरा
यूँ लगा मिल गया सारा जहाँ
दिया तुने इतना यार
लुटा दिया सारा प्यार
काबिल मैं ना था
पर बना दिया तुमने
सबसे खुशनसीब इंसान
शब्द जो आये अभी ध्यान
दूसरे पल ही हो जाये अंतर्ध्यान
कर लिया अगर कलम बंद
तो रह जाये याद
वरना फिर तो मुश्किल
करना उसे पुन्ह याद
ह़र पल बदलते भावों में
संभव नहीं मिले उसी का ध्यान
शब्द जो हो गया अंतर्ध्यान
लड्क्पन से जवानी तक मचलता रहा दिल
पर मिला ना ऐसा कोई
संग जिसके मिले खुशियाँ ढेर सारी
कितनी अजब ये कहानी
जिसमे कभी ना जिन्दगी झांकी
तन्हा तन्हा रातें बदलती साँसे
महफूज प्यार की किरणों से
उम्मीद की साँसे
ख़त्म तन्हाई की वो रातें
मिले साँसों से साँसे
सोचा था मिलेगे कभी तो
बिछड़े दो दिल कहीं तो
पर हुआ ना ऐसा अभी तक
लटक गयी जिन्दगी कब्र पर
बची है जो साँसे अभी तक
खुदा करे आके मिलो तुम एक पल
हसरतें इन चन्द घड़ियों में हो जाये पूरी
मिल जाये एक नयी जिन्दगी हमें भी
संग संग , मेरा तेरा संग
सदा बना रहे , तेरा मेरा संग
संग संग बीता बचपन
संग संग चली दोस्ती हमारी
संग संग बीते अब जीवन
कहना है यही मेरे यार
डाले हाथों में हाथ
संग तेरा मेरा बना रहे
ह़र जन्म साथ साथ
इतनी अकेली क्यों है जिन्दगी
है किसका इन्तजार जिन्दगी
खोई खोई है राहे
सहमी सहमी है साँसे
है कैसा ये सूनापन
है कैसी ये विरानगी
क्यों इतनी अकेली है जिन्दगी
है किसीका इन्तजार जिन्दगी
उलझन में उलझ गई उलझन
ऐसी उलझी उलझन
सुलझन से भी सुलझ ना पायी उलझन
इस उलझन और सुलझन से आ गए चक्कर
खा खा के चक्कर
बन गए घनचक्कर
पर सुलझ ना पायी उलझन
उफ़ कितनी विकराल थी उलझन
जितनी सुलझाओ उतनी उलझ जाती उलझन
खाली है दिल की किताब
सीखा दो प्यार का पाठ
लहू को स्याही बना
हर पन्नो पे लिख देंगे
आप का ही नाम
अधूरी रहे नहीं दिल की किताब
आप के साथ की हमको है दरकार
आप जो पढ़ाओगे पाठ
सबक वो जीवन भर रहेगा याद
तरस करो इस अनपढ़ पर आप
फ़ौरन चली आओ पढ़ाने प्यार का पाठ
थामे खाली किताब
कर रहे है आप का ही इन्तजार
छोटी सी कागज़ की नाव
पानी की लहरों पे अटखेलिया कर
मन को लुभा रही नाव
बहते बहते गिल्ली हो
पानी में समा गई नाव
हर्षित मन डूब गया
देख प्यारी नाव का ये हाल
छोटी सी कागज़ की नाव
थोडा सा प्यार हो तो
ढेर सारी जीवन में मिठास हो
छोटी छोटी तकरारों में
प्यार की खुशबू का अहसास हो
अगर ऐसा हो जाये तो
ना कभी कोई तकरार हो
जीवन बन जाये स्वर्ग
इससे हसीन ओर क्या खाब्ब हो
जज्बातों का सागर उमड़ पड़ा
नयनों से सावन छलक पड़ा
रुसवा उन्होंने जो हमको किया
तन्हा हमें छोड़ दिया
खत्म मानो जिन्दगी हो गयी
जिनसे की मोहब्बत
बेवफाई से उनकी दिल टूट गया
जज्बातों का सागर उमड़ पड़ा
नयनों से सावन छलक पड़ा
परेशान नहीं हैरान हु
देख इन रीती नियमों को
अन्धविश्वास में जकड़ी जिन्दगी
गुलाम बन गई सामाजिक कुरित्यों की
जंजीरे कब टूटेगी
दासता से मुक्ति कब मिलेगी
पर बिडम्बना है यही
आज भी मानव है इसी का आदि
देख इस दुर्दशा को
परेशान नहीं हैरान हु में
टकटकी लगाए आसमां निहारता रहा
शून्य चेतना में विचरता रहा
अपनी जिन्दगी के ह़र पल को तलाशता रहा
कुदरत ने जिन्दगी के पन्ने कुछ ऐसे लिखे
खाली पन्नो के सिवा कुछ ओर नज़र नहीं आये
जिन्दगी अन्धकार में डूबी नज़र आये
देखा है हमने चाँद को शरमाते हुए
खुद को बादलों में छुपाते हुए
नज़र ना लग जाये किसीकी
काला टिका लगाए हुए
देखा है हमने चाँद को मुस्कराते हुए
सितारों के संग खिलखिलाते हुए
छिप छिप चाँदनी बिखराते हुए
देखा है हमने चाँद को शरमाते हुए
बंद है राहे
खुली है बाहें
दामन यू छुड़ा ना पाओगे
दूर हमसे जा ना पाओगे
मंजिल है हम आपकी
हमसे नजरे चुरा ना पाओगे
लौट के आना है जब यही
क्यों ना फिर बाहों में चले आओ
ख्याल हसीन है
दुनिया तभी रंगीन है
खेल रहा मन सितारों के साथ
पर कह न रहा दिल की बात
सिर्फ एक चाँद की खातिर
कैसे रुस्बा कर दूँ इतने सितारों को
जिन्दगी इन्ही से तो रंगीन है
तभी तो दुनिया हसीन है
हसरतें है बड़ी
मंजिले हो दूर ही सही
ख्वाहिसे होगी ना कम
डगर हो चाहे काँटो से भरी
अरमानों की आरजू है यही
जिन्दगी भी छोटी पड़ जाये
करते फरमाईसे पूरी
फिर भी इस छोटे से दिल की
हसरतें है बड़ी
पतंग का खेल हो गया खत्म
ऊँची उड़ रही थी पतंग
फंसा दी किसी ने उसमे अपनी पतंग
नाजुक हाथों में पकड़ चरखी
सुन्दर बाला उड़ा रही थी पतंग
पेंच उसने ऐसा लगाया
दिल हमारा उस पे आया
हम निहारते रह गए उसको
वो काट ले गयी हमारी पतंग
साथ ही कट गयी दिल की पतंग
पतंग का खेल हो गया खत्म
काश ऐसी कोई जगह होती
नजरे कोई घुर नहीं रही होती
उस पल को साथ अपना होता
पर मिलते कैसे
चाँद या तारे कोई तू घुर रहे होते
यादों को कैद करने का अनुभव सुखद होता है
बीते लहमो से रूबरू होना रोमांचित करता है
इन्ही लहमो में कुछ पल ख़ास बन जाते है
जिन्दगी के ह़र मोड़ पे जो बार बार याद आते है
मुन्ना भर लाया खीर की कटोरी
देखे चन्दा सुने माँ से लोरी
चुपके से जीजी चट कर गयी कटोरी
रो रो के पूछे मुन्ना
किसने खाली खीर की कटोरी
कहे जीजी चन्दा है चटोरी
चुपके से खा गया खीर भरी कटोरी
मुन्ना कहे जीजी
तू है सबसे बड़ी चटोरी
खायी चन्दा ने जो खीर
तो फिर तू क्यों चट रही कटोरी
रो रो मुन्ना कहे जीजी
पकड़ी गयी तेरी चोरी
माँ कहे चुप हो जा मुन्ना
तू है चाँद जीजी तेरी चटोरी
छुट गया बचपन गलियों में कहीं
रफ़्तार में खो गयी जिन्दगी कहीं
धूमिल पड़ गयी यादें
मानस पटल पर कहीं
फुर्सत मिली नहीं
समेट सकू यादें कहीं
छुट गया बचपन गलियों में कहीं
दोस्ती कुछ पल की थी
जिन्दगी उसी पल में थी
कशीश बड़ी प्यारी थी
एक दूजे के लिए
चाहत बड़ी निराली थी
पर बात भड़ी ना थी
चाहत जाहिर हो ना सकी थी
ओर दोस्ती रिश्ते में बदल ना सकी थी
तुम गुजरी जिस राह से
सज गयी फूलों की सेज उस राह पे
कदमो की ताल पे झांझर बजने लगी जब
खिलने लगी कलियाँ फूल बन कर तब
देख तेरी नजाकत और मासूमियत
सिमट गयी कुदरत भी शर्मा कर उस पल
ह़र दुखों में छुपा है खुशी का राज
कह रही है जिन्दगी
मत हो तू उदास
रात ये ढल जायेगी
सूरज की किरणें नया सबेरा लाएगी
खुशियों से आँखे छलछला आएगी
मिला जो दौलत का भंडार
खुदगर्ज बन गया इंसान
कल तक जिसने दिया साथ
उसे ही कह दिया
तुम हो सबसे बड़े बेईमान
पास हो तो आस है
वर्ना क्या
अपना दिल अपने पास है
पर इसको भी किसीकी तलाश है
जो समझे इसकी आवाज़
बस उसका ही इन्तजार है
वर्ना क्या
अपना दिल अपने पास है
खट्टा मीठा अनुभव इसके पास है
जब तक धड़कन दिल के पास है
तब तलक आस है
वर्ना क्या
अपना दिल अपने पास है
सुनलो ओ जनाब
हम है लाज्जबाब
करना ना कोई गुस्ताखी आप
वर्ना खा जाओगे मात
हम है बादशाह
अपनी सल्तनत के
झुकते नहीं किसीके आगे
सिवा खुदा डरते नहीं किसी बला से
इसलिए ओ जनाब
रहना आप होशियार
नहीं तो हो जाओगे बर्बाद
महकी महकी फिजाये
बहकी बहकी हवाये
हो चाँदनी से सराबोर
बिखरा रही घटा घनघोर
देख इस अनुपम छटा को
मुस्कराने लगे फूल भी
कल्पना को अगर लग जाये पंख
टूटने लग जाये ह़र तिल्सिम का रहस्य
इस आंधी में
डूबने लग जाये जब मन
कल्पना लोक में ही
विचरण करने लगे तब मन
क्योंकि इसमें ही है
रोमांच के साथ मनोरंजान का आनन्द
क्यों ना ऐसा करे
आओ हम तुम मिल चिठ्ठी लिखे
बात जो कह नहीं सके
ख़त के जरिये , शब्दों में वया करे
खोल दे दिलों के राज
सुनके एक दूजे के दिलों का हाल
क्या पता बन जाये अपनी भी बात
जुड़ जाये अपने भी दिलों के तार
थामे एक दूजे का हाथ
कर दे मोहब्बत का ऐलान
तन्हाई का आलम टूटे नहीं
तंग गलियों में मन लगे नहीं
अकेलेपन का भय दल से दूर जाये नहीं
खुद से लड़ने की हिम्मत नहीं
इस तन्हाई का कोई इलाज नहीं
शायद मरकर भी इससे छुटकारा नहीं
प्यार का शोला दिल में ऐसा भड़का
तेरे लिए जलते अंगारों पे चल पड़ा
यकीन था तेरे दामन तले
ओश की शबनमी बूंदों सा
भरपूर प्यार मिलेगा
जो ह़र मरहम के घाव भरेगा
ओ मौला मेरे
मुझको मेरी जात बता दे
हिन्दू या मुसल्मा
ये मुझको बता दे
कैसे पुकारू तुझको
राम या खुदा
ये मुझको बता दे
हो सके तो कर दे बस इतना सा
इंसा मुझको रहने दे दे
कर कुछ ऐसा
ह़र मजहब में देखे तेरा एक सा ही चेहरा
मिट जाये दिलों से दूरियाँ
ओ मेरे रबा
मुझ पर इतनी दया कर दे
मुझको मेरी जात बता दे
जब कभी बनाना हो किसी को
अपने गमों का हमराज
कर सकते हो हम पे ऐतबार
दर्द आप का कर लेगे अपने नाम
अपना सुख कर देगे आपके नाम
गले लगा भुला देगे गमों की बात
आपके जीवन को खुशियों से कर देगे गुलजार
रुत घनेरी छाई
सावन की घटा चली आयी
काले काले बादलों में
पानी की बुँदे ले आयी
गरजने लगे अम्बर
बरसने लगी वर्षा मुसलाधार
छा गयी सावन की फुहार
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
चुभे मन के तार
थक गया कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
दर्द बहे नयनन के द्वार
सुख गया आंसुओ का तालाब कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
अब रही ना जीने की मुराद
उखड़ने लगी है साँसे कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
तन्हा अकेला खड़ा था भीड़ में
कोई भी अपना ना था कहने को पास
जिसे भी माना अपना यार
वो ही निकला बेईमान
मुक़दर ही ऐसा मिला
यकीन कहीं खो गया
पुकारा खुदा को
मगर वो भी अनसुनी कर गया
हमको हमीसे अकेला कर गया
इजाजत अगर मिल गई होती इतनी सी
खता हमसे हुई नहीं होती कभी
जब जब की फ़रियाद
अनसुनी करदी आपने हर बार
मजबूर अगर आप थे
लाचार विवश हम भी थे
सिर्फ़ एक बार जो कह दिया होता
गुनाह हमसे आज ना होता
बात जो थी ख़ास
वो ना बनती आम
मन कुछ कहने को हुआ
उनसे कुछ सुनने को हुआ
थोड़ी झिझक हुई
देख उनकी आँखों मैं
हम शरमा गए
वो मुस्करा के बगल से गुजर गए
मन चाह कर भी कुछ कह ना पाया
ना उनसे कुछ सुन पाया
आज दिल बचपन में लौट जाने को मचल रहा है
खोई यादे समेटने को आतुर हो रहा है
वक्त जो पीछे छुट गया
उससे मिलने व्याकुल हो रहा है
मन आज पीछे छूटे बचपन से
नाता जोड़ने की कोशिश कर रहा है
चाल में उनके नजाकत थी
हर कदम पे धीमी आहट थी
हर आहट में सरगम थी
सरगम में ऐसी नफासत थी
उनके आने की ख़बर
उनके आने से पहले
कोसो दूर पहुँच जाया करती थी
दर्द नूर बन बह आया
पूछ लिया साथी ने
क्यों अश्क बह गया
कह दिया हमने
धूल आँखों में समा गई थी
चुभन कुछ ज्यादा हो रही थी
इसलिए रो के आँखे साफ़ कर ली
काश बारिश हो रही होती
अश्क उसमे घुल गए होते
साथी को पता भी ना चलता
ओर हमको उनसे झूट कहना नहीं होता
जोर आंसुओ पे चलता नहीं
दर्द की ओर कोई दवा नहीं
आंसुओ के सिवा इसका ओर कोई आसरा नही
सदी गुजर गई तुमसे मिले हुए
तरस गए नयन मिलने के वास्ते
पर आस की डोर कोई बंधी हुई है
जो हम तुम को जोड़े खड़ी है
यही तो अपने रिश्ते की अच्छी बात है
दूर होते हुए भी
एक दूजे के दिलों के पास है
दो पल सकून के मुझको दे दो
माँ के ममता भरे आँचल में
दो पल चैन की नींद मुझको सो लेने दो
थक गया , सो नहीं पाया
मौला मेरे रहम करो
कुछ पल के लिए ही सही
वो मासूम बचपन लौटा दो
माँ की गोद में फिर से
सर रख सो जाऊ
बस वो सकून भरे दो पल मुझको भी दे दो
देख आप के चहरे की लाली
मौसम का मिजाज भी लाल हो गया
आप की लाली के आगे
चाँद भी शरमा गया
सांझ की शमा को लाल बना
ये दिन आप की लाली के नाम कर गया
यार तुम हो प्यार
करो ना इनकार
अब रूठना छोडो मेरे यार
बन के तेरे सर के ताज
रखूँगा हर पल तुझको दिल के पास
तुम ही मेरी मुमताज
तुझसे हसीन ना कोई ओर इस जग में
सच तो यही है मेरे यार
हम तो करते है सिर्फ़ तुम ही से प्यार
यारों में जब स्नेह लगे बड़ने
प्यार लगे रंग अपना दिखलाने
तोड़ सारी हदे
यारी को मिल जाता है एक नया नाम
मोहब्बत है इसका नाम
यारी जिंदाबाद
प्यार के रंग भर दे जब तस्वीरों में
बोल उठती है बेजान तस्वीरे
देख के उन रंगों को
जादू है प्यार का
तभी प्राण मिल जाते है बेजान को
बांसुरियां दिल की बजी
ओढ़नी उड़ने लगी
झांझरिया बजने लगी
सुन के प्रेम रस
राधा दीवानी होने लगी
नाच उठी गोपियाँ
मोहन संग राधा प्रेम रास रचाने लगी
कैसी ये तलाश है
जो आज तलक अधूरी है
ढूंड रहा मन किसको
इससे दिल भी अनजान है
है वो क्या
जिसके लिए आंखे बेताब है
शायद मन खुद से अनजान है
तभी कोई अनछुई तलाश है
जिनकी हँसी पे हमने जग लुटाया
उन्होंने ही हमें यार ना बनाया
मुलाक़ात हुई जब
अजनबी कह ठुकरा दिया
भुला सका नहीं उस पल को
बददुआ दे सका नहीं
मेरे उस अजीज दोस्त को
कहा सदा खुश रहो
यही दुआ करेंगे तुम्हारे वास्ते
अनमोल होती है बेटियाँ
पर समाज की उनके पैरों में
पड़ी होती है बेड़िया
जन्म लिया जिस द्वारे
छोड़ जाना पड़े उसी द्वारे
ह़र रस्म निभाती है बेटियाँ
कभी बेटी बन, कभी बहन बन
कभी पत्नी बन , कभी माँ बन
एक ही जन्म में
कितने जन्म लेती है बेटियाँ
पर दुःख उसका कोई समझे नहीं
प्रसव पीड़ा कोई जाने नहीं
फिर भी वंश बढाती है बेटियाँ
ममता ओर त्याग की मूरत होती है बेटियाँ
कुदरत की सबसे हसीन रचना है बेटियाँ
सच यही है
दुनिया में सबसे अनमोल होती है बेटियाँ
व्यंग बाण चले ऐसे
भावनाए भेद उठी
चिंगारी ये जो लगी
सीने में आग भभक उठी
दर्द जो दिल में छिपा था
चहरे पे उभर आया
चुभन आंसू बन आँखों से बह पड़ी
सूर्य अस्त हो चला
सांझ घिर आयी
खड़े थे जिसके इन्तजार में
वो बेला ना आयी
खुदगर्ज हो गया
भूल गया एक पल में सबको
नाता तोड़
अँधेरे में निकल पड़ा
करने खुद की खोज
अस्त हो गया जीवन का मोड़
आसमां सर पे उठा लेंगे
चिल्ला चिल्ला जग को सुना देंगे
तुम अगर हां कह दो
तेरी डोली अपने घर ले आयेंगे
नाच रहा है मन का मौर
उमंग भर रहा है सावन का शौर
मृदंग पे पड़ी जो थाप
खुल गए मधुर संगीत के द्वार
बज उठी झांझरिया
थिरकने लगे पावँ
उमंग और उल्हास भरे इस क्षण को देख
नाच रहा है मन का मौर
हो रहा है दिल भाव भिभोर
काश वो महफ़िल फिर सजती
शमा फिर से रोशन होती
परवाने को ये मगर मंजूर ना था
जला दी महफ़िल उसी शमा से
रोशन जिससे ही वो महफ़िल थी
मंजूर उनको ये ना था
साथी बने कोई हमारा
ये उनको गंवारा ना था
पर जालिम दिल की लगी ऐसी थी
हुस्न ओर शबाब से ही दिल की महफ़िल थी
दिल था की अपनी आदते बदलता ना था
मुश्किल यही थी
इस कारण उनकी और हमारी जमती ना थी
ओर कहानी शुरू होती नहीं थी की
कहानी खत्म हो जाती थी
पूछा उन्होंने ,
कहाँ गुम हो गए थे तुम
कहा हमने ,
ढूंडा होता हमें सितारों की महफ़िल में
चाँदनी रात में आसमाँ निहारते हुए
दिल पे अपने हाथ रख जो पुकारते
हमें तुम
ह़र सितारों में अक्स हमारा ही पाते तुम
कला निखर आयी
आस जो प्रेरणा बन आयी
रचना ऐसी लाजबाब बनी
फूलों की जैसे सुन्दर माला गुंथी
अंतर खुल गए सब मन के
सप्त लहरियों ने जैसे मधुर तान है छेड़ी
दिव्य प्रकाश जगमगा उठा
अँधेरे में जैसे रौशनी की किरण बिखर आयी
दर्पण देखा तो शक्ल अनजानी सी नज़र आयी
गौर से करीब जाके देखा तो
जानी पहचानी नज़र आयी
यादों को टटोला तो
खुद की प्रतिबिम्ब नज़र आयी
वक़्त इतनी तेजी से कब गुजर गया
अहसास ही ना हो पाया
ओर वक़्त की इस रफ़्तार में
मानव खुद की शक्ल भी भूला गया
मुस्कान के बदले हम तो
ग़मों का सौदा करते है
लोगो को मुस्कराते देख
अपने गम भूल जाते है
ओर खिलखिलाते हुए
उनकी खुशियों में शरीक हो जाते है
कहते है बुलंदी छूने के लिए
हौसलों की जरुरत होती है
लक्ष्य कर अभियान को
मैदान में जो कूद पड़ते है
बिन हथियारों के भी वो
जंग जीत जाते है
ऐसे ही लोग जीवन में
कामयाब कहलाते है
मुस्कराते रहिये
गम भुलाते रहिये
खिलखिला के
ग़मों को गले लगाते रहिये
फिर ना कोई दर्द होगा
ना ग़मों से कोई रिश्ता होगा
हवाओं ने रुख क्या बदला
मौसम ही बदल गया
रेगिस्थान प्यासा ही रह गया
पानी की एक बूंद को
धरती तरस गयी
खुश किस्मत होते है वो
जिनके सर पर मात पिता का साया हो
स्नेह ओर ममता से भरे
उस पल को किसीकी नज़र नहीं लगती
इस आँचल की छत्र छाया के आगे
ह़र खुशियाँ बोनी लगती है
जिन्दगी इतनी बुरी भी ना थी
पर किस्मत साथ ना थी
खड़े थे भीड़ में अकेले
पर साथी कोई साथ ना थी
जरुरत पड़ी जब कभी
सिर्फ अकेलेपन की उदासी पास थी
हसरतें बड़ी छोटी सी थी
जिस अंगुली को पकड़ चलना सिखा
जिस के नाम से नाम मिला
उस की छाया में जीवन बीते
मंजूर किस्मत को ये ना था
हसरत अधूरी ही रह गयी
सर से पिता की छत्र छाया चली गयी
जिन्दगी भीड़ में अकेली खड़ी रह गयी
बड़ी बेमुरब्बत है जिंदगानी
जन्म लेते है जब
तब बजाते है ढोल थाली
हो जाये कोई भूल तो
जीवन भर देते है गाली
मर जब जाते है
झूटे आंसू बहाने चले आते है
मगर जरुरत पड़े जब कभी
तब पहचान से इनकार कर जाते है
क्यों गले पड़ रहे हो
क्यों हमसे नाता जोड़ रहे हो
बोलने में भी नहीं संकुचाते है
सच ही तो है
जिन्दगी सचमुच बड़ी ही
बेरहम बेमुरब्बत है
जब भी मैंने आवाज़ दी
तुने अनसुनी करदी
आज जब तुने पुकारा
मैं बहुत दूर निकल आया
अब लोट आना मुमकिन नहीं
दुआ फिर भी करेंगे
तुम ज़हा भी रहो
सदा सलामत रहो
दावा करते है सभी
देखि है जिन्दगी हमने करीब से
पर यह तो उस रहस्यमय तिल्सिम की
अनबुझ पहेली है
गुड अर्थ समझ जिसका सका ना कोई
नादान मानव फिर भी कहता फिरे
जिन्दगी क्या है
मुझसे बेहतर ओर कोई वया नहीं कर सकता
ओर खुद ही उसकी तलाश में है
भटकता फिरता
बदल गया मैं औरों के लिए
जो खुद ना बदल सका अपने लिए
सिखने लगा हु
ग़मों की आँधियों में
अविचलित खड़े रहना
धैर्य और संयम से निर्णय करना
इन कंधो पे जो जिम्मेदारी आन पड़ी है
द्वेष ईष्या को छोड़
एक नई जिन्दगी की शुरुआत करनी है
अब तुम कभी ये ना कह पाओगी
ख़त तुम्हे लिखा नहीं
नजराना कोई भेंट किया नहीं
क्योंकि जब दिल ही हमने अपना
तेरे नाम कर दिया
तो फिर दिखावे की जरुरत नहीं
आओ दिल की आवाज़ को एक पहचान दे
प्यार के सुरों से इस की सरगम को सजाये
संगीत इतना मधुर बनाये
लय और ताल के खुबसूरत मिलन से
दिलों में प्रेम रंग घुल जाये
अपना प्रेम गीत अमर हो जाये
जिस्म जब तलक बिकता रहेगा
अंजुमन की उस चौखट पे
मेला तब तलक लगता रहेगा
इस शौर में डूबी चीत्कार भरी आवाज़
कोई सुन ना सकेगा
अँधेरी भरी जिन्दगी
यूँ ही घुट घुट
इन बदनाम गलियों में
कब ख़ाक ये सुपुर्द हो जायेगी
किसी को खबर भी ना होगी
जिन्दगी की तरह कब्र भी सूनी रह जायेगी
दुआ करने के लिए भी कोई अपना ना होगा
जिन्दगी सिसक सिसक कर यूँ ही मर जायेगी
तुम खुश हो तो
खुश है मेरे दिल का जहान
देख के तेरी मासूमियत
आबाद है मेरे दिल का ज़हा
सुन के तेरी हँसी
चल रही है दिल की धड़कने मेरी
काँटों में रह के भी
जो मुस्कराए गुलाब की तरह
जिन्दगी के ह़र पल जीये वो
जिंदादिल इंसान की तरह
यही है वो मंत्र
जो बनाये खुशहाल जीवन को
खुदा करे हमारी हँसी भी आप को मिल जाये
ताकि आप ह़र समय मुस्कराते रहे
उदासी के मुखोटे को उतार
गुलाब की तरह सदा खिलखिलाते रहे
मैं शाहिल तू किनारा
मैं मौज तू धारा
फिर कैसे ना हो
मिलन हमारा तुम्हारा
आ समां जाये एक दूजे की बांहों में
कही बंट ना जाये प्यार मंजिल की राहों में
जुल्फें बिखरी लटें उलझी
पवन चली साँसे थमी
हमदम हमकदम था कोई पास
जादू भरी बातों से
उड़ा ले गया दिल की तान
धडकनों में समा गया
उसका ही नाम
मन तेरे बिना लागे नहीं
बिन तुझे देखे रहा जाये नहीं
लग गया रोग ये कैसा
नींद आँखों में आती नहीं
दिल बातें करे खुद से
कैसी ये अगन लगी
दुनिया कहे दीवाना हमको
हँस रही कुदरत देख बेहाल हमको
इस रोग का इलाज नहीं कोई
प्रेम रोग है ये तो
दोस्त हो तुम बड़े प्यारे इंसान हो
थोड़े भोले हो थोड़े नादान हो
दिल के फिर भी सच्चे हो
कोई समझे या ना समझे
पर दोस्ती की खुबसूरत मिशाल हो तुम
देखे हजारों गुलाब
पर देखा ना तुम सा शबाब
ओस की शबनमी बूंदों में लिपटी
खिलती कलि
लग रही थी मासूम परी
सिमट आयी सारी कायनात जैसे
बनके गुलाब की पंखुरी
महक उठी फिजा
फूल बन गयी कलि
कला हुस्न की मोहताज नहीं
मंथन है ये तो विचारों की
स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त सुरों की
प्रेरणा है ये तो आत्मसम्मान से जीने की
फिर रात यू ही गुजर जायेगी
रूह तड़प के रह जायेगी
किस्मत का खेल है ये तो
बाँधी दो जाने ऐसे डोर से
मिलन उनका हो सके नहीं
इन्तजार की शाम ढले नहीं
लगन की अगन बुझे नहीं
काटे रात कटे नहीं
बुलंद है होसले इतने आज
खुदा भी अगर कुछ मांगे आज
पल में निकाल दे दु दिल उसके हाथ
वो भी तो जाने
दिल लगानेवालों का क्या होता है हाल
उफनती लहरों पे चले जा रहे है
बहते अश्को में डूबे जा रहे है
उजड़ गयी है वादियाँ
लुट गयी है दुनिया
सितम वक़्त ने ऐसा दिया है
ह़र कोई बदला बदला लग रहा है
खत्म अब आस है
जीने के लिए ना कोई मकसद पास है
कुछ तो है कहीं तो है
अहसास तभी तो है
एक अनछुई सी अनुभूति का है
बहुत ही हसीन जज्बातों का मेला है
जज्बातों के इस मेले में
ह कोई
जो अपनी ओर आकर्षित किये जा रहा है
अनुभव जिस आकृति का हो रहा है
दिल मानस पटल पर उसकी तस्वीर बना रहा है
ओ गाँव की छोरी
मैं शहर का छोरा
कैसे होगा मिलन ये तेरा मेरा
बदल गया है ज़माना
भाता नहीं नए जमाने का रंग
तुझको जरा भी
ऐसे में कैसे करलू
जीवन साथ बिताने का वादा
ढूंड रही है नजरे
बिछा के पलके
पर अभी तलक नज़र आयी नहीं
साये की झलक भर
अनजाना अजनबी वो साया
चुपके से जो सपनों में चला आया
नींद हमारी चुरा ले गया
अब तो बस बैचैन है राते
करवट बदलते बीत रही है राते
कहते है लोग आप बड़े ही दिलवाले है
ह़र एक से दिल लगाने तैयार है
अंदाज बड़ा ही आशिकाना है
सुन आप की हँसी
जाते कदम भी थम जाते है
पर आप बड़े ही संग दिल इंसान है
दिल लगा के
दिल जलाना ही आप का काम है
फिर भी सारी तितलियाँ आप पे मेहरबान है
कोई कुछ भी काहे
आप आशिक लाजबाब है
सुर्ख़ियों में रहने वालों का
जीवन औरो से कुछ अलग ही है
हो अगर अच्छे कारणों से
तो जीवन जीने का रंग कुछ ओर ही है
बिरले ही होते है वो
जो सदा सुर्ख़ियों में बने रहने को
जीवन से जदोजहद करते रहते है
उथल पुथल बदल फिरत है
मौसम के रंग हज़ार
कहीं बह रही पावन रूमानी
कहीं खिल खिला रही वादियाँ फूलों की
रंगीन है मौसम का मिजाज
मिलता है सकून
जब चलती है ठंडी वयार
उथल पुथल बदल फिरत है
मौसम के रंग हज़ार
भुलाना चाहो अगर किसीको
दूर जाना चाहो उसके साये से भी
करनी होगी यादों की खिड़कियाँ बंद
दफ़न कर देनी होगी ह़र बात सीने के अन्दर
तभी भूल पावोगे
परछाई से दूर जा पावोगे
कल तक जो पहचान थी
वो आज गुमनाम है
इस बदले समय में
अपनों के लिए भी अनजान है
वक़्त सदा एक सा नहीं होता
समय बड़ा बलवान है
बुरे वक़्त ही होती है
अपनों की सच्ची पहचान
सिमट गयी जिन्दगी चारदीवारी में
आँखे हो गयी सूनी
दिल हो गया पत्थर
अकेलेपन तन्हाई इनका ही अब साथ है
जिन्दगी खुद से अनजान है
आंसुओ का भी अब तो नहीं साथ है
तड़प रही है जिन्दगी
हार गयी मैं खुद से
कह रही है जिन्दगी
सिमट गयी है जिन्दगी
चारदीवारी में कैद हो गयी है जिन्दगी
जिन्दगी तुझ से कोई गिला नहीं शिकवा नहीं
जो तुने दिया वो काफी नहीं
फिर भी तुझसे कोई शिकायत नहीं
अरमा थे बहुत पर सारे पूरे हो ना सके
मौके तुने दिए नहीं
ओर हासिल खुशियाँ हुई नहीं
फिर भी तुझसे गिला नहीं
तम्मना है अब बस इतनी सी
फुर्सत अगर मिले कभी
तो घर मेरे भी आना जिन्दगी
आके गले हमको भी लगा जाना ये जिन्दगी
तुम आओ या ना आओ
पर अब कोई शिकायत नहीं तुझसे ये जिन्दगी
किया है जो वादा वो पूरा करेंगे
जीवन अपना तेरे संग
आधा आधा बाँट लेंगे
यू रहो ना उदास
करो मेरा विश्वास
थामा है जो हाथ तेरा
कैसे तुने सोच लिया
बीच भंवर में छोड़ दूंगा साथ
हम तो है तेरे ही सर के ताज
याद रखना हमारी ये बात
छुट गयी आप की वो अंगुली
पकड़ जिसे चलना सीखा
रह गयी सिर्फ यादें
प्रेरणा बन जीवन मार्ग दर्शाने को
आशीर्वाद ऐसा देना हमें
आपकी दिव्य पुंज से
सुशोभित रहे जीवन हमारा तो
भूल चुक हुई हो तो करना हमें माफ़
अपने श्री चरणों में
करना हमारी श्रद्धा के फूल स्वीकार
हमने जिसको भी अपना कहा
उसने ही हमको धोखा दिया
ऐतबार अब रहा नहीं
दिल अब कुछ कहता नहीं
सुनी हो गयी आँखे
खाली रह गयी बातें
थम गयी साँसे
खो गयी राहे
मिला धोखा ही धोखा
मिला ना कोई भी अपना
दिल बनाया खुदा ने प्यार करने के लिए
कहा रखना सदा इसे संभाल के
पर चुरा लिए दिल मेरा तुने
अब कैसे किसी ओर से प्यार करू
बरस रही मेघा मुसलाधार
नाम नहीं ले रही थमने का
लगी कहर बरपाने मेघा
उफन ने लगी नदियाँ
भर गए शहर तालाब
ह़र ओर पानी ही पानी
डूब गए घर बार
तांडव मचाने लगी बाड़
देख के इस मंजर को
कह उठा मन चीत्कार
अब बस भी करो मेघा रानी
ओर ना बरसाओ पानी
डगर डगर
टहर टहर
शहर शहर
पहर पहर
मगर अगर
करे है फर्क
यू ही बीत रही जिन्दगी
भूल के लक्ष्य
भटक रही जिन्दगी
समझ ना आई बात
लुट गयी जिन्दगी
डगर डगर
टहर टहर
शहर शहर
पहर पहर
घूम रही जिन्दगी
दिल अभी तलक भरा नहीं
तेरे हुस्न में है कितना दम
देखे बांधे रख सके हमें आप कब तलक
दीवानगी है खेल नहीं
मेरे लिए तुम किसी मुमताज से कम नहीं
पर बांधे रख पाना हमें मुमकिन नहीं
दिल कह रहा है तू अब आ भी जा
मैं छुपा लू तुझे बाहों में
तू छुपा ले मुझे तेरे आँचल में
खो जाये एक दूजे में
साँसों की डोर बंधी रहे
एक दूजे की चाहत से
सुन ले पुकार
दिल कह रहा है तू अब आ भी जा
बरस रहा अम्बर
बोल रही धरती
खिल उठी जिन्दगी
बारिस की शबनमी बूंदों से
लहरा उठी जिन्दगी
नए अंकुरों में
फ्रस्फुटित हो चली जिन्दगी
बरस रही मेघा
चमक रही बिजली
गरज रहा अम्बर
बोल रही जिन्दगी
काश तुम पास होती
जिन्दगी सपनों सी हसीन होती
चन्दा की चांदनी होती
तेरे मेरे मिलन की रात होती
रुक जाती घड़िया थम जाते पल
काश तुम जो पास होती
तेरे चाँद से मुखड़े के आगे
सितारों की महफ़िल भी फीकी है
क्यों झांके बाहर
तस्वीर तेरी जब दिल में बसी है
घूँघट तेरा उठाने हमें आना ही होगा
छुपे चाँद को नयनों के आगे लाना ही होगा
कहनी थी जो बात
वो तुम ने कह दी
अब कैसे काहे हम
तुम ने हमारे दिल की बात कह दी
करते हो प्यार हमसे
कहने में इतनी देर क्यों लगा दी
खिला गुलाब महकी फिजा
खली पलके उडी जुल्फें
पैगाम ये ले आयी
यार तुम हो दिल के करीब
ये हमको बतला गयी
आती नहीं हमें आपकी तरह
करना कविता और शायरी
कोशिश फिर भी की है
दिल की बात आप की तरह कहने की
सुन जिसके बोल दिल मचल उठे
ह़र साँसों में जिनका ही नाम धड़का करे
प्रियतम मेरे हसीन हो या ना हो
पर जो दिल को सबसे अजीज हो
वो तुम हो तुम हो
गम इस बात का नहीं
हम आपसे बिछुड़ गए
दर्द है इस बात का
आप भी औरो की तरह बेवफा निकले
सिकवा कोई अब है नहीं जिन्दगी से
मगर अफ़सोस है इतना सा जरुर
क्यों हम भी आपकी बातों में आ गए
शब्द कहीं खो गए
कविता अधूरी रह गयी
तलाशा बहुत टटोला बहुत
पर वापस मिले नहीं
टूट गए शब्द
बिखर गयी शब्दों की माला
ओर रह गयी कविता अधूरी
दिल फ़िदा तुम पे मर मिटा
तरस रहे नयन तड़प रहा मन
तुम बिन अब चैन कहा
ओ मेरी राह गुजर
ओ मेरी शामे शहर
सुनले तू दिल की वफा
हो गया है ये तुझ पे फ़िदा
आके बाहों में दुनिया भुला जा
आ आजा , आके दिल में समां जा
ओ मेरी राह गुजर
ओ मेरी शामे शहर
खाब्बों में ख्यालों में
अक्सर कोई आता है
आके मुझे जगाता है
नगमे नए सुनाता है
ह़र ओर वही नज़र आता है
काश ऐसा होने लगे
सपनों की दुनिया से निकल
आके वो मझसे मिले
चाहत है वो हमारी
अब नहीं दुनिया उस बिन प्यारी
कहने का एक मौका हमको भी दे दे
रखेगें सर का ताज बना कर
चाहेंगे ना किसी ओर को
एक बार सपनों से निकल
आके वो हमसे तो मिल
गोल गोल घुमे दिल की वॉल
छू लिया तुने हो गयी गोल
देख तुझको फुदक रही दिल की वॉल
तेरी प्यारी सी हँसी पे
हो गया दिल अपना गोल
तेरे सुन्दर गोल गोल नयनों के आगे
हारी अपनी दिल की वॉल
सुनके तेरी इकरार हो गयी
अपनी दिल की गोल
गोल गोल घुमे दिल की वॉल
उतर गयी खुमारी
चढ़ गयी बेताबी
लुट गयी दुनिया
उजड़ गयी जवानी
अपने ही हाथों
तहस हो गयी जिंदगानी
बची ना अब कोई आस
साथ छोड़ गयी परछाई भी अपनी
देख हश्र ये
जिन्दगी भी रो पड़ी
तिल तिल तडपता देख
ओर जीने की तम्मना ना रही
खुमारी उतरने से पहले ही
जिन्दगी बेजार हो गयी
तलाश अभी जारी है
ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात अभी बाकी है
हसरतें अधूरी सी है
प्यास अभी बाकी है
ललक कुछ कर गुजरने की है
अब तलक क्या खोया क्या पाया
ये चिंतन अधूरी है
है तलाश किसकी नहीं मालुम
फिर भी तलाश जारी है
शायद अनजाने मैं ही सही
क्योंकि ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात
अभी तलक बाकी है
ख़ुद ने ख़ुद को प्रोत्साहित किया
कदम बढ चले नई मंजिल की ओर
शिखर कामयाबी का
कल तक जो लगता था दूर
आज वो लग रहा बहुत करीब
फासला चाँद कदमो का मिटने को है त्यार
इतिहास दोहरायेगा ख़ुद को
ओर बन जायेगी एक नई पहचान
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जायेगी
सफलता की ये मिशाल
अंगुली आप की छुट गयी
यादें बस पास रह गयी
आप के आशीर्वाद की छत्र छाया में
ह़र अरमान ह़र सपने साकार हो गए
कमी आपकी ह़र पल खलती है
ह़र पल जिन्दगी आपको ही सुमिरन करती है
स्वर्गलोक गमन की इस पुण्य तिथि
आंसुओ से भींगे दो फूल हमारे भी
हे पिता श्री आप अपने श्री चरणों में स्वीकार करो
चुभती है कडवी बातें
अच्छी लगती है मीठी बातें
सारा खेल ही है बातों का
बातों की बात निराली
कहीं ह़र लेती है प्राण बातें
कहीं बन जाती है संजीवनी बातें
सोच समझ कर करो बातें
छोड़ कडवाहट को
जीत लो जग को मीठी बातों में
जहा पग पग बिखरे पड़े मिथ्या के बोल
चल नहीं सकती उस राह रिश्ते की डोर
जहा मिथ्या है सबसे बड़ा पाप
वही रिश्ता है सबसे पाक
रखनी है अगर रिश्ते की लाज
तो छोड़ना पड़ेगा मिथ्या का साथ
दोस्तों को लोग याद करते है यदा कदा
पर दुश्मनों को करते है सदा
काश हम भी दुश्मनों की गिनती में होते
कम से कम आपके ख्यालों में तो ह़र पल होते
खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं
छुट गयी बचपन की यादें
जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं
गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं
रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं
शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं
तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं
ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी
दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं
होती है कठपुतलियां बेजान
फिर भी इशारे पर करती है नाच
निपुण होता है वही कलाकार
जिसने जानली हो इस कला की पहचान
महारथी हो चाहे कितने भी बड़े पारंगत
अगर डाल न पाये जान बेजान कठपुतलियों में
तो सारी कला है बेकार
प्रेम सुधा तुम जब बरसाती हो
इन मद भरी आँखों से
बेसुध हो जाती है दुनिया सारी
देख तेरी सुनहरी हिरनी सी चंचल काया
होश खो ठहर जाती है
एक पल के लिए दुनिया सारी
निश्चल खड़ा पहाड़
कह रहा है पुकार
अडिग रहो करम पथ पे
ना करो अभिमान
देखो मुझको अविचलित खड़ा हु
सीना अपना ताने
चाहे आओ आंधी या तूफ़ान
डिगा ना पाये मेरा स्थान
तुम भी खड़े रहो मेरी तरह
करम पथ पे अपने
बस मत करना अभिमान
सरल सहज सुगम माध्यम
को आसान होता है समझना
कठिन शब्दावली होती है थोड़ी भिन्न
समझ नहीं आये तो कर देती है अर्थ भिन्न
फेर सारी मेहनत पे पानी
व्यर्थ चली जाती है सारी मगज मारी
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
हरी भरी वादियों के बीच
हो सुन्दर सी अपनी बगिया
खोलू खिड़की तो दिखे
चन्दा में तेरा ही चेहरा
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
रहे सलामत प्यार ये अपना
मिलके बुना जो सपना
सचमुच वो हो जाये अपना
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
तोते से बोली मैना
अपूर्व है होली का मिलन
ह़र बेर भुला रंगों के रंगों में
रंग जाते है ह़र जन
चढ़ जाता है जब होली का रंग
गले लग जाते है दुश्मन भी तब
अपूर्व है होली का मिलन
सृजन करे मंथन करे
आओ हम सब मिल आत्म मंथन करे
चले नेकी की उस राह पर
पग पग जिसमे कांटे चुभे
कठिन होगी डगर मगर
सेज मिलेगी फूलों की काँटो की राह चलके
इसीलिए क्यों ना फिर
सृजन करे मंथन करे
हम सब मिल आत्म मंथन करे
आओ मिलजुल नेकी की नई राह का सृजन करे
नींद नहीं है आँखों में जबसे
तुम मिले आके सपनों में जबसे
करवटे बदल रहे है उसी पल से
ढूंढ़ रहे है सितारों में तुम्हे उसी पल से
पलक झपकती नहीं एक पल के लिए
सपना कहीं टूट ना जाये एक पल के लिए
नींद अब बस आती नहीं उस दिन से
तेरी तस्वीर बनी इन आँखों में जिस दिन से
गुजरे कल को भूल जाओ
आने वाले कल की चिंता करो
भूत से निकल भविष्य को सुमरन करो
रहना है खुशहाल तो मेरे दोस्त
वर्तमान में जीना सीखो
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
ना खेलो आँख मिचोली
आ खेले हम तुम होली
मच रही है धमाल
उड़ रही है गुलाल
आ रंग दे तेरे भी गाल
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
ना करना इनकार
आ रंग ले प्यार के रंगों को
होली के रंगों के साथ
भींगे तेरी चुनर
उड़े अबीर गुलाल
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
चला जिस अंगुली को पकड़
वो अंगुली छुट गई
शायद रब को चलने के लिए
मेरे पिता की जरुरत पड़ गई
तभी बिखर गई मेरी दुनिया
ठहर गए कदम
रब ही जाने उसने ऐसा क्यों कर डाला
मुझ बेबस लाचार से
मेरे बाबा ( चाचा ) का हाथ क्यों छुड़ा डाला
अक्षरों का खेल है सारा
जैसे चाहो वैसे सजालो
मन माफिक शब्द बनालो
है अक्षरों का मेल अनूठा
विचित्र बड़ा ही है शब्दों का मेला
जैसे हर शब्दों का अर्थ है निराला
वैसे ही हर अर्थों की भी है अपनी कहानी
हर कहानी की है अपनी जुबानी
ओर बनते बिगड़ते कहानी जुबानी
बन जाते है कुछ शब्द अनोखे
अनोखे शब्दों के अर्थ भी होते है अजूबे
छोटी सी एक मुलाक़ात
सवालों से घिरी दास्तान
फिक्रमंद दोनों इंसान
एक गाये झूटे आलाप
दूजा कहे सच्ची बात
अन्तर है गहरा
राह नहीं आसान
इसलिए बन गई एक छोटी सी मुलाक़ात
दोस्ती की पहली और आखरी मुलाक़ात
गलतियां सबक बनती है
सबक इम्तिहान बनती है
इम्तिहान परख बनती है
परख दर्पण बनती है
ओर दर्पण झूट नहीं कहता है
थक गए नयन
राह तेरी तकते तकते
पर तुम आए नहीं
ओर बंद हो गई पलके
निहारेंगे तुम्हे कैसे
आओगी तुम जब पास
रोशनी नहीं होगी जब
इन आँखों के पास
घड़ी वो भी आई
दो अजनबी मिले दोस्तों की तरह
रूबरू हुए एक दूजे से
बैठे आमने सामने
सूरत उनकी तब भी नजर नही आई
हिजाब पहन रखा था
जिससे सिर्फ़ आँखे नजर आई
दोस्त बन गए
मगर खूबसूरती के दीदार को
नजरे इनायत ना हो पायी
पहचान अधूरी की अधूरी ही रह गई
अजनबी तुम हो
अजनबी हम है
फिर ये कैसा मिलन है
पर लागी तुमसे लगन है
की है बातें अभी तक
जाना है एक दूजे को बस यहीं तलक
कशीश फिर भी है मिलन की
दीवानगी की हद तक
तस्वीर जो बनी अब तलक
शायद तुम ही वो हमसफ़र
हो अजनबी फिर भी हो राह गुजर
सोचा ना था कभी
एक पल ऐसा भी आयेगा
अजनबी कोई दोस्त बन जायेगा
जज्बातों से खेल
दिल के टुकड़े कर जायेगा
विश्वास का क़त्ल कर
रिश्तो को मौत की नींद सुला जायेगा
सोचा ना था कभी
एक पल ऐसा भी आयेगा
निकला था सवाल का हल ढूढ़ने
पर सवालों के जाल में उलझ
ख़ुद एक सवाल बन रह गया
उतर जिस किसीसे भी पूछा
उसने ही एक नया सवाल पूछ डाला
ओर मैं सवालों की भूल भूलैया में
ख़ुद दुनिया के लिए सवाल बन रह गया
सपने जो आपने संजोये
साकार हम कर गए
पर हमें आंसुओ के साथ छोड़
आप अंतविहीन यात्रा पर
रब के पास चले गए
कमी आपकी सदा खलती है
बिन आपके कामयाबी भी अधूरी लगती है
दुआ है बस अब इतनी सी
आप के मार्ग पे चलते रहे
आशीर्वाद आपका सदा हम पे बना रहे
बुखार प्यार की उतर गई
देखा जो उनकी आँखों में
सच्चाई पता चल गई
दिल्लगी थी दिल लगी नहीं थी
नादान हमने नादानी में
बीमार दिल को बना दिया
दिल और दिल्लगी के इस खेल में
ख़ुद को जला लिया
ऐतबार इसको किसी का ना रहा
नफरत ये ख़ुद से करने लगा
भूत प्यार का उतरने लगा
बेताबी बडती गई
उलझाने उलझती गई
किनारा कोई नजर आया नहीं
छोटी समस्या विकराल हो गई
परिस्थिथिया बदल विषम हो गई
साधारण पहेली अनबुझ बन कर रह गई
परम्परा निभानी है
रस्म सदियों पुरानी है
आस्था बनी रहे
विश्वास टिका रहे
इसलिए सत्य पे अटल रहना है
दिया वचन निभाना है
लोट के चल दिए घर को हम अपने
समेटे यादों को दिल में
संजोये थे सपने जो
खाब अधूरे रह गए वो
हम तुम मिल नहीं पाये
दोस्त बन नहीं पाये
पर अजनबी बन दूर चले आए
ओर फ़साना बनने से पहले ही
किस्से खत्म कर आए
लुका छिपी आँख मिचोली
कर दिया मुश्किल जीना इसने
नचा रही भूल भुलैया में
पहेली हमें बुझा रही
रहस्य क्या है समझ आया नहीं
वो कौन है जान पाये नहीं
कब उठेगा राज से परदा
शायद खुदा को भी मालूम नहीं
तराशा ताजमहल जिन्होंने
हुनर था हाथों में उनके
प्रेम को पथरों पे उकेरा ऐसे
इबादत हो खुदा की जैसे
किवदंती जिन्दा बन गई
प्रेम कहानी अमर कर गई
युग युगांतर से चली आ रही जुबानी
परम्परा ये सदियों पुरानी
अखरती है दुनिया को प्रेम कहानी
रास आती नहीं उनको प्रेम दीवानी
क्योंकि उनकी नहीं कोई प्रेम कहानी
आकृति एक नजर आई
गौर से देखा तो साया था
पूछा उससे कहा उसने
परछाई हु तेरी
संग संग तेरे चलती हु
कभी आती हु कभी जाती हु
अकेला तू है नहीं
मैं हु साथ तेरे
यह बत्ताने आती हु
बोल बोल का फर्क है
बोल बोल का महत्व है
नहीं है जिन्दगी में ह़र चीजों का मोल
कुछ चीजें तो है अनमोल
इसलिए ह़र बोल को सोच समझ कर बोल
तोल मोल के बोल
बोल कुछ ऐसे बोल
जिसमे मिला हो अमृत का घोल
कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
हे कलयुग अवतारी हे त्रिपुरारी
सुनले विनती हमारी कह रही सखियाँ सारी
बृज मंडल पधारो हे मौर मुकुट धारी
खेलन होली आयी राधा ले पिचकारी अपने साथ
हम रंगे तुमको प्रेम रंगों में
तुम रंगों हमको श्याम अपने रंगों में
सुनके हमारा विनम्र निवेदन
खेलन होली आ जाओ हे नाथ
कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
पल इन्तजार के खत्म होते नहीं
ज्यौं ज्यौं समय लगे बीतने
त्यौं त्यौं इन्तजार लगे बड़ने
पल पल लगने लगे सदी समान
जितना ज्यादा इन्तजार
उतना ही ज्यादा इन्तजार
इसलिए करो सब्र से इन्तजार
मीठा लगने लगेगा इन्तजार
आयी है रंगों की बारात
लेके आयी होली अपने साथ
कोई मारे पिचकारी कोई उड़ावे गुलाल
रंग बी रंगे रंगों में रंग गयी दुनिया सारी
हरा पीला नीला लाल गुलाबी
छा गयी रंगों की घटा निराली
बरस रही रंगों की रागिनी
खो गयी दुनिया रंगों की मस्ती में भूल सारे दुःख
लहमा लहमा कह रहा है
बूटा बूटा सुन रहा है
कितनी हसीन है ये शाम
सूरज लगने लगा है ढल
छा गयी अम्बर में लाली
चाँद नजर आने लगा
छटा बनी अनुपम निराली
ये शाम कित्नु हसीन है
लहमा लहमा कह रहा है
बूटा बूटा सुन रहा है
स्वर विरोध के उठने लगे
मुखर युवा होने लगे
शक्ति संगठित होने लगी
विद्रोह का विगुल बजने लगा
एक नयी क्रान्ति होने लगी
करके लेगें दम खात्मा आतंक का
इस जय घोष से अमन की बयार बहने लगी
शांति की सूत्रपात होने लगी
कभी अपने लिए भी लिखता हु
जब कभी दिल रोता है
दो शब्द बुनता हु मैं भी
तन्हाईओं के अकेलेपन में
खुद से लड़ता हु जुड़ता हु
कोई बात दिल को छू जाये
उसे शब्दों में पिरों लिख लेता हु
अक्सर औरों के लिए लिखता हु
पर जब दिल भर आता है
दो शब्दों को अपने लिए भी लिख लेता हु
रोते रोते ये पता चला
रोने को ओर आंसू बचे नहीं
उमड़ा था आंसुओ का जो सैलाब
सुखा दिया उसने सभी नदी तालाब
अब जब आंसू ही बचे नहीं
फिर किस कर के रोये
इसलिए मन ही मन रोये ताकि
आंसू की जरुरत ही होवे नहीं
कहना है बस इतना सा
दिल रोता रहे ओर आंसू नजर आये नहीं
जिन्दगी मेरे लिए अभिशप्त है
चलना इसपेमेरे लिए दुर्भर है
जीने की कोई ललक मेरी बची नहीं
फिर भी खुदा है की मेरे को मौत देता नहीं
कौल हमने लगायी तीन बार
पर उनको समझ नहीं आयी यार
जाग गया मोहला सारा
सुन शोर बौखला आया
आधी रात गए
किस गधे ने है शोर मचाया
देख ये तमाशा
जोर से मैं चिल्लाया
बीबी खोल नहीं रही दरवाजा
उसको जगाने मैं तो बजाऊंगा बेन्ड बाजा
हो रही हो तुम लोगों को तकलीफ
करलो कान बंद तुम सारी भीड़
इतने में बीबी की नींद जगी
समझ आ गया सारा माजरा
फिर पी ली है हद से ज्यादा
पकड़ बाल हमको ले गयी घर के अन्दर
ओर बंद कर दिया गुशलखाने के अन्दर
होता जो कोई माध्यम पास
कह पाता अपनी बात
सहज रह सकता नहीं
भावनावों को व्यक्त कर सकता नहीं
मुश्किल तो यही है यारों
चाह कर भी अपनी बात कह पाता नहीं