POEMS BY MANOJ KAYAL
भरी सभा द्रोपदी का चिर हरण होने लगा जब
हाथ जोड़ याद किया कृष्ण को तब
साड़ी का आँचल इतना बड़ा दिया
थक हार गए कौरव सारे
मिला ना अंत छोर साड़ी का
देख कृष्ण तेरी माया
चकित रह गया जग सारा
No comments:
Post a Comment