POEMS BY MANOJ KAYAL
कैसे ए दर्द भरी दास्ताँ पेश करू
जख्म तुने जो दिए
कैसे उन्हें पेश करू
दर्द ए दिल कैसे पेश करू
तुझे भुलाने को
क्या में ओर करू
कैसे उस बीते लहमे को पेश करू
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