POEMS BY MANOJ KAYAL
तेरे हुस्न की सादगी पे हो फ़िदा
चाँद ने चाँदनी की चुनर उढाई
सितारों ने जगमग करते तारों से मांग सजाई
मंत्र मुग्ध हो दर्पण भी शर्माए
ओ मेरे दिल की रानी
तेरी सादगी के कुदरत भी है हारी
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