RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, December 13, 2010
सहेली
ओ सहेली तुम हो कैसी पहेली
सपनों में रोज आती हो
दिल पे दस्तक दे जाती हो
ज्यों ही पलक झपके
तुम फुर से उड़ जाती हो
अपनी जादुई मुस्कान से
दिल गुदगुदा जाती हो
सपनों की दुनिया में
प्यार भरी दुनिया बसा जाती हो
ओ सहेली तुम हो कैसी पहेली
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