RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, December 7, 2010
मेरा साथ
छोड़ो ना तुम मेरा साथ
घबराए जिया
देख परछाई अपनी भी अकेले माये
रहे जो हाथ तेरे हाथ
दिखती है फिर आस
तेरे प्यार के सहारे
लग जायेगी जीवन नैया पार
में करता हु तुमको अंगीकार
तुम भी करलो मुझको स्वीकार
छोड़ के जाओ नहीं मेरा साथ
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