Sunday, December 5, 2010

जिक्र

कोशिश जितनी भी की भुलाने की

तुम उतनी ओर करीब आयी

चाहत जूनून बन गयी

नफरत शोला बन गयी

आरजू इतनी रही

तुम रहो जहाँ भी

सदा सलामत रहो

पर जिक्र

दिल से दूर जाने का ना करो

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