RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, December 5, 2010
जिक्र
कोशिश जितनी भी की भुलाने की
तुम उतनी ओर करीब आयी
चाहत जूनून बन गयी
नफरत शोला बन गयी
आरजू इतनी रही
तुम रहो जहाँ भी
सदा सलामत रहो
पर जिक्र
दिल से दूर जाने का ना करो
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