RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, December 4, 2010
इन्तजार
सदी गुजर गयी तुमको देखे हुए
रौशनी थक गयी आस निहारते हुए
अक्स दिखा चाँद के दीदार में
बाहें खुली है तेरे इन्तजार में
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