POEMS BY MANOJ KAYAL
तुम इस दिल की कविता बन गयी
रग रग में यूँ समां गयी
जुबा जब भी खुली
ह़र लफ्ज में तू ही तू नज़र आयी
इस कदर तेरी दीवानगी छाई
ह़र फूल में तू ही तू नज़र आयी
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