RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, September 5, 2010
सजा
हुक्म सुनाया दिल ने
सुन उनकी प्यारी फ़रियाद
चुरा लिया नूर तुमने इन आँखों का
कैसे कर दू तुम्हे माफ़
खता नहीं
किया है तुमने संगीन अपराध
सजा भुगतनी होगी तुमको इसकी
गुजारनी होगी ता उम्र कैद हो बाहों में मेरी
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