Friday, September 3, 2010

अभिशाप

जन्म लेना है वरदान

जिन्दा रहना है अभिशाप

नरक से बदतर है जिन्दगी

कीमत जिन्दा रहने की ऐसी

जो मरकर भी छोड़े ना साथ

घुट घुट रेंगती है जिन्दगी

बिन पानी जैसे मछली

तड़पती है जिन्दगी

ह़र पल कहीं ना कहीं

बिकती है जिन्दगी

जिन्दा रहने के लिए

क्या कुछ नहीं कराती है जिन्दगी

खुद से हार , बन गयी अभिशाप

ओर देह बन गयी एक जिन्दा लाश

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