RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, September 5, 2010
माँ
माँ तुम कीर्ति हो कुदरत की बेमिसाल
सर झुके तेरे ही चरणों में बारम बार
सृष्टि रचे तेरे ही पुण्य प्रताप
रब से भी पहले तुझे ही पुकारे
सारे जन अपार
हा माँ तुम ही वो महान अवतार
जिसके आगे शीश नवाये
ईश्वर भी खुद आय
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment