RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, September 10, 2010
नियति
अहसास है जिन्दगी
कुदरत की बख्शी हुई है नियति
जियो ह़र पल खुशियों के साथ
ह़र लहमा बन जाये यादगार
कुदरत भी कह उठे
तू है सच्चा दिलदार
जी तुने साँसे खुशियों के साथ
खुशबू से तेरी चमन में छा गयी बहार
ह़र कोई करेगा तुझको याद
जी जिन्दगी तुमने खुलकर यार
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment