RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, September 3, 2010
अजनबी
अजनबी शहर अजनबी लोग
ढूंड रही नज़र तलाश रही छोर
मन हो उदास भटक रहा
कभी इस गली
कभी उस मौहले की ओर
बेबस आँखे घुर रही गुजरे पल की ओर
अब तो याद भी नहीं
जाना है किस ओर
अजनबी शहर अजनबी लोग
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