POEMS BY MANOJ KAYAL
जल गया तन
भस्म हो गया मन
बची सिर्फ धड़कने
मुझको बस तू इतना बता दे
कैसे उससे तुझको जुदा करू
जिन्दा रहने के लिए अब क्या क्या ओर करू
No comments:
Post a Comment