POEMS BY MANOJ KAYAL
सोचा था मिलेगे कभी तो
बिछड़े दो दिल कहीं तो
पर हुआ ना ऐसा अभी तक
लटक गयी जिन्दगी कब्र पर
बची है जो साँसे अभी तक
खुदा करे आके मिलो तुम एक पल
हसरतें इन चन्द घड़ियों में हो जाये पूरी
मिल जाये एक नयी जिन्दगी हमें भी
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