RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, August 4, 2010
फकीर
फकीर हूँ मैं तो
पूछो ना कोई मुझसे मेरी जात
हिन्दू भी मैं हु
मुसल्मा भी मैं हु
कोई भेद नहीं मजहब का दिल में मेरे
ह़र धर्म में दिखे मुझे , अल्लाह कहो या राम
मेरे लिए ह़र धर्म एक समान
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