दर्द तुने इतना दिया
लहू आंसू बन आँखों से बह चला
दिल चूर चूर हो बिखर गया
सदमा ऐसा लगा
शक्ल खुद की भी याद ना रही
जब देखा आइना
अजनबी शक्ल नज़र आयी
खता दिल लगाने की हमसे हो गयी
जिन्दगी हमसे रुसवा हो गयी
दर्द तुने ऐसा दिया
दर्द तुने इतना दिया
लहू आंसू बन आँखों से बह चला
दिल चूर चूर हो बिखर गया
सदमा ऐसा लगा
शक्ल खुद की भी याद ना रही
जब देखा आइना
अजनबी शक्ल नज़र आयी
खता दिल लगाने की हमसे हो गयी
जिन्दगी हमसे रुसवा हो गयी
दर्द तुने ऐसा दिया
बड़ा ही मज़बूत है ये जोड़
तोड़ नहीं इसका कोई मेरे दोस्त
ये है सच्चे बंधन की डोर
काट नहीं इसका कोय
कहते है इसे दिल से दिल का जोड़
मेरी तेरी यारी का जोड़
दुओं की रोशनी से आपकी राहे
जगमगाती रहे
अँधेरे में भी सूरज की तरह
प्रकाश की किरणे
बिखराती रहे
आप यू ही सदा मुस्कराती रहे
कह रहा है मन
हो तुम यही कही
घुल रही तेरी साँसों की खुशबू
इन हवाओं में यही
महका रही ह़र कलि इन फिजाओं में यही
बिखर रहा संगीत
तेरी पायल की छम छम से
करलो कितना भी जतन
छिपा ना खुद को पाओगे
दूर हम से रह ना पाओगे
जल गया तन
भस्म हो गया मन
बची सिर्फ धड़कने
मुझको बस तू इतना बता दे
कैसे उससे तुझको जुदा करू
जिन्दा रहने के लिए अब क्या क्या ओर करू
मुक़दर ऐसा मिला
ह़र फ़साने में एक अफसाना हमारा भी बना
ह़र खुबसूरत कलि से दिल लगाने के
फ़साना बनाना हमने भी सीखा
जब भी देखू तुझे
दिल मेरा लगे मचलने
कांपने लगे साँसे
दिल मारे हिलोरें
बढ़ने लगे मिलन की बेताबी
सोच सोच तेरे लिए
बड़ने लगे बेकरारी
देखू जब भी तुझे
खुद पे रहे ना कोई काबू
ऐसा लगने लगे मुझको
धड़कन भी अब रही नहीं मेरे बस में
दिल जो टूटा
ताश के पत्तों की तरह
सपनों के आशियाँ बिखर गए
घरोंदे प्यार के
बसने से पहले ही उजड़ गए
कहानी है ये सच्ची
रंक से राजा बनने की
फर्श से अर्श पे पहुँचने की
किया नहीं उसने कभी किसीको निराश
खुले हाथ किया दान
की मेहनत बहुत
ह़र दौर देखा जिन्दगी का
ओर रखा खुद पे विश्वास
ईश्वर ने भी सुनी प्रार्थना
साधारण से इन्सां को
पल में बना दिया महान
गुलजार रहे तेरा दामन सदा
है रब से यही दुआ
पग पग खुशियाँ मिलती रहे
रहे सलामत सदा तेरा जहाँ
खिलखिलाती मुस्कराती रहो तुम सदा
मेरी तो रब से बस यही है दुआ
कितनी प्यारी थी वो छोटी सी मुलाक़ात
चाँदनी रात में नहाई हुई थी रात
झील मिल करते सितारों के साथ
बैठे थे हम तुम डाले हाथों में हाथ
एक दूजे को निहारते हुए
गुजर गयी वो खुबसूरत रात
आज भी जब ढलती है चाँदनी रात
याद आ जाती है
गुजरी हुई वो हसीन रात
सुबह की अजान पे
खुली जब आँख
आया तेरा ही ख्याल
रहे सलामत मेरा प्यार
खुदा मेरे मेरी ये दुआ
तुम कुबूल फरमाना
मेरे महबूब को
मेरे दिल के पास ही रखना
एक तो हलकी बूंदों की छम छम
उसपे भीगे लब तेरे
देख इस शबनमी काया को
घायल कैसे ना दिल हमारा हो
बड़ी नफासत से दिल के कोरे कागज़ पर
कुछ अल्फाज आप के सजदे में लिखे
संग दिल सनम ने पैगाम का जबाब लिखा
लिखावट है आप की
पर अल्फाज किसी ओर के
इसलिए आपसे फिर प्यार कैसे हो
जब कभी मन हुआ रोने को
बारिस में निकल पड़ा
वर्षा की बूंदों में आंसू घुल गए
किसीको ख़बर भी ना हुई
हम रो के घर अपने चले गए
मंजिल नहीं अब कोई
जिन्दगी सिमट गई बाहों में तेरी
मिल गया जो प्यार तेरा
यूँ लगा मिल गया सारा जहाँ
दिया तुने इतना यार
लुटा दिया सारा प्यार
काबिल मैं ना था
पर बना दिया तुमने
सबसे खुशनसीब इंसान
शब्द जो आये अभी ध्यान
दूसरे पल ही हो जाये अंतर्ध्यान
कर लिया अगर कलम बंद
तो रह जाये याद
वरना फिर तो मुश्किल
करना उसे पुन्ह याद
ह़र पल बदलते भावों में
संभव नहीं मिले उसी का ध्यान
शब्द जो हो गया अंतर्ध्यान
लड्क्पन से जवानी तक मचलता रहा दिल
पर मिला ना ऐसा कोई
संग जिसके मिले खुशियाँ ढेर सारी
कितनी अजब ये कहानी
जिसमे कभी ना जिन्दगी झांकी
तन्हा तन्हा रातें बदलती साँसे
महफूज प्यार की किरणों से
उम्मीद की साँसे
ख़त्म तन्हाई की वो रातें
मिले साँसों से साँसे
सोचा था मिलेगे कभी तो
बिछड़े दो दिल कहीं तो
पर हुआ ना ऐसा अभी तक
लटक गयी जिन्दगी कब्र पर
बची है जो साँसे अभी तक
खुदा करे आके मिलो तुम एक पल
हसरतें इन चन्द घड़ियों में हो जाये पूरी
मिल जाये एक नयी जिन्दगी हमें भी
संग संग , मेरा तेरा संग
सदा बना रहे , तेरा मेरा संग
संग संग बीता बचपन
संग संग चली दोस्ती हमारी
संग संग बीते अब जीवन
कहना है यही मेरे यार
डाले हाथों में हाथ
संग तेरा मेरा बना रहे
ह़र जन्म साथ साथ