POEMS BY MANOJ KAYAL
टकटकी लगाए आसमां निहारता रहा
शून्य चेतना में विचरता रहा
अपनी जिन्दगी के ह़र पल को तलाशता रहा
कुदरत ने जिन्दगी के पन्ने कुछ ऐसे लिखे
खाली पन्नो के सिवा कुछ ओर नज़र नहीं आये
जिन्दगी अन्धकार में डूबी नज़र आये
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