Sunday, July 25, 2010

शहर

था शहर छोटा सा

थी एक छोटी सी पहचान

बसे जो बड़े शहर को जाके

घिर गयी अजनबियों की बाड़

मिली नहीं वो छोटे शहर सी बात

गुम हो गयी खुद की भी पहचान

रहा नहीं वो अब वो मुकाम

छोटे शहर में जो थी ख़ास

था शहर छोटा सा

छोटी सी थी पहचान

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