RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, July 25, 2010
शहर
था शहर छोटा सा
थी एक छोटी सी पहचान
बसे जो बड़े शहर को जाके
घिर गयी अजनबियों की बाड़
मिली नहीं वो छोटे शहर सी बात
गुम हो गयी खुद की भी पहचान
रहा नहीं वो अब वो मुकाम
छोटे शहर में जो थी ख़ास
था शहर छोटा सा
छोटी सी थी पहचान
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