Friday, July 23, 2010

अकेली

इतनी अकेली क्यों है जिन्दगी

है किसका इन्तजार जिन्दगी

खोई खोई है राहे

सहमी सहमी है साँसे

है कैसा ये सूनापन

है कैसी ये विरानगी

क्यों इतनी अकेली है जिन्दगी

है किसीका इन्तजार जिन्दगी

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