RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, July 26, 2010
मेरे बच्चे
फक्र है नाज है
नहीं
है अहंकार
मेरे बच्चे है
मेरे सर के ताज
मगरूर नहीं खुश हूँ
कुदरत ने दिए
दो छोटे से फूल मुझे उपहार
दिखे बचपन इन में मेरा अपना
पढ़ा लिखा बनाना है इनको अच्छा इंसान
गरूर है ये मेरा
मैं हूँ इनका जन्मदातार
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment