RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, July 25, 2010
उजाला
सूर्य तपे कहे
मैं हु वो दीपक
जिससे फैले जग में उजाला
मेरी किरणों से उज्जवल बने सबेरा
मेरे सुप्रकाश से मिले
ह़र दिन एक नया सबेरा
खुद जलु खुद तपू
पर रोशन करू जहान को
ताकि ना फैले अंधियारा
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