Sunday, July 25, 2010

दूर

संभल पाती सहज पाती जिन्दगी

दबे पावँ ख़ामोशी से

चली आयी एक खबर

आहिस्ते से दी दिल पे दस्तक

मुसाफिर तेरी मंजिल है अभी दूर

मत बुन सपने आशियाँ के यहाँ

जाना है तुझको बहुत दूर

जाना है बहुत दूर

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