इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
चुभे मन के तार
थक गया कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
दर्द बहे नयनन के द्वार
सुख गया आंसुओ का तालाब कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
अब रही ना जीने की मुराद
उखड़ने लगी है साँसे कर कर के
इन्तजार इन्तजार
हर घड़ी इन्तजार
इन्तजार इन्तजार
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