RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, June 25, 2010
लहुलुहान
रक्त रंजित हो गयी माट्टी
रणभूमि में लहुलुहान हो
गिरा जब वीर जवान
वेदना से कहराये जवान
सुनके करुना भरी चीत्कार
अश्रु बह आये नयनों के द्वार
हो गयी आँखे भी लाल
माट्टी और आँखे दोनों हो गयी लहुलुहान
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