RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, June 25, 2010
जीवन की डोर
थामे साँसों की डोर
ह़र बंधन को तोड़
मेरे मन के चितचोर
जिद है अपनी भी
बिन तुझसे मिले
टूटने ना देंगे ये डोर
तुझसे ही बंधी है
मेरे जीवन की डोर
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