POEMS BY MANOJ KAYAL
तन्हाई का आलम टूटे नहीं
तंग गलियों में मन लगे नहीं
अकेलेपन का भय दल से दूर जाये नहीं
खुद से लड़ने की हिम्मत नहीं
इस तन्हाई का कोई इलाज नहीं
शायद मरकर भी इससे छुटकारा नहीं
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