Sunday, June 20, 2010

आनन्द

कल्पना को अगर लग जाये पंख

टूटने लग जाये ह़र तिल्सिम का रहस्य

इस आंधी में

डूबने लग जाये जब मन

कल्पना लोक में ही

विचरण करने लगे तब मन

क्योंकि इसमें ही है

रोमांच के साथ मनोरंजान का आनन्द

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