POEMS BY MANOJ KAYAL
तुम गुजरी जिस राह से
सज गयी फूलों की सेज उस राह पे
कदमो की ताल पे झांझर बजने लगी जब
खिलने लगी कलियाँ फूल बन कर तब
देख तेरी नजाकत और मासूमियत
सिमट गयी कुदरत भी शर्मा कर उस पल
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