दर्द नूर बन बह आया
पूछ लिया साथी ने
क्यों अश्क बह गया
कह दिया हमने
धूल आँखों में समा गई थी
चुभन कुछ ज्यादा हो रही थी
इसलिए रो के आँखे साफ़ कर ली
काश बारिश हो रही होती
अश्क उसमे घुल गए होते
साथी को पता भी ना चलता
ओर हमको उनसे झूट कहना नहीं होता
जोर आंसुओ पे चलता नहीं
दर्द की ओर कोई दवा नहीं
आंसुओ के सिवा इसका ओर कोई आसरा नही
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