POEMS BY MANOJ KAYAL
छुट गया बचपन गलियों में कहीं
रफ़्तार में खो गयी जिन्दगी कहीं
धूमिल पड़ गयी यादें
मानस पटल पर कहीं
फुर्सत मिली नहीं
समेट सकू यादें कहीं
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